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राजस्थान कृषि महाविद्यालय में राष्ट्रीय लाख कीट दिवस पर कार्यशाला का आयोजन

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24 News Update उदयपुर। राजस्थान कृषि महाविद्यालय, महाराणा प्रताप कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी), उदयपुर के कीट विज्ञान विभाग में चौथे राष्ट्रीय लाख कीट दिवस का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा प्रायोजित लाख कीट आनुवंशिक संरक्षण पर नेटवर्क परियोजना के तहत आयोजित किया गया, जिसमें लाख संसाधन उत्पादन पर एक दिवसीय छात्र संवाद सह प्रशिक्षण कार्यशाला भी शामिल थी। इस कार्यशाला में स्नातक, स्नातकोत्तर और विद्या वाचस्पति के 125 से अधिक छात्रों ने भाग लिया।
कार्यशाला की मुख्य बातें
परियोजना अधिकारी डॉ. हेमन्त स्वामी ने छात्रों को लाख कीट के जीवन चक्र, उनके पोषक वृक्षों और लाख की खेती की वैज्ञानिक पद्धतियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किसान लाख की खेती से अपनी आय कैसे बढ़ा सकते हैं और इसके लिए किन पोषक वृक्षों का चयन किया जाना चाहिए। डॉ. एम.के. महला, प्रोफेसर, कीट विज्ञान ने लाख और इसके उप-उत्पादों जैसे राल, मोम और डाई के उपयोग पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि लाख का उपयोग सौंदर्य प्रसाधन, भोजन, फार्मास्यूटिकल्स, इत्र, वार्निश, पेंट, पॉलिश, चिपकने वाले, आभूषण और कपड़ा रंग जैसे विभिन्न उद्योगों में होता है। साथ ही, उन्होंने लाख की वैज्ञानिक खेती के उन्नत तरीकों और इसके उत्पादन को बढ़ाने के उपायों पर भी चर्चा की।
प्राकृतिक जैव विविधता और संरक्षण पर जोर
डॉ. अमित त्रिवेदी (क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान), डॉ. वीरेंद्र सिंह (प्रोफेसर, उद्यान विभाग) और डॉ. रमेश बाबू (विभागाध्यक्ष, कीट विज्ञान विभाग) ने कार्यशाला में उत्पादक कीटों के संरक्षण, परागणकों, भौतिक डीकंपोजर और जैव नियंत्रण एजेंटों के रूप में लाख कीटों की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने प्राकृतिक जैव विविधता की सुरक्षा और संरक्षण के महत्व पर भी प्रकाश डाला, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां लाख की खेती बंद हो चुकी है या निवास स्थान नष्ट हो गए हैं, जिससे लाख कीट और संबंधित जीव-जंतु लुप्तप्राय हो रहे हैं। कार्यशाला के दौरान छात्रों के बीच निबंध और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं, जिनमें विजेताओं को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इसके अतिरिक्त, 16 से 22 मई तक ‘उत्पादक कीट संरक्षण सप्ताह’ के अंतर्गत पोस्टर और भाषण प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएंगी, जिससे छात्रों और किसानों में लाख कीट और उनकी उपयोगिता के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।

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