24 News Update जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय की जोधपुर पीठ ने अपने एक महत्त्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि किसी महिला का विवाह दूसरे राज्य से होकर राजस्थान में हुआ है और वह वर्तमान में यहां निवासरत है, तो वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) प्रमाण-पत्र प्राप्त करने की पात्र है। न्यायमूर्ति मुन्नुरी लक्ष्मण की एकलपीठ ने हनुमानगढ़ जिले की पूनम द्वारा दायर याचिका पर 18 अगस्त को सुनवाई करते हुए यह व्यवस्था दी। मूल रूप से हरियाणा निवासी पूनम का विवाह हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी कस्बे निवासी पवन कुमार से हुआ था और वह वर्तमान में अपने ससुराल रामपुरा पंचायत के वार्ड नंबर 4 में निवास करती हैं। उन्होंने अपने लिए ईडब्ल्यूएस प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन किया था, लेकिन संबंधित अधिकारियों ने यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया कि उनके पास हरियाणा राज्य द्वारा जारी पिछड़ा वर्ग (OBC) प्रमाण-पत्र है। पूनम ने इस निर्णय को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी।
मामले की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने पूर्व में दिए गए सुनीता रानी बनाम राजस्थान राज्य फैसले (26 मई 2023) के तथ्यों को समान बताते हुए कहा कि विवाह के बाद राज्य में निवास करने वाली महिला को केवल इसलिए ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि उसके पास किसी अन्य राज्य का ओबीसी प्रमाण-पत्र है। कोर्ट ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग सहित सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे याचिकाकर्ता के आवेदन पर पुनर्विचार करें और यदि वह अन्य सभी निर्धारित शर्तें पूर्ण करती हैं तो चार सप्ताह के भीतर नियमों के अनुसार ईडब्ल्यूएस प्रमाण-पत्र जारी किया जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि पहले आवेदन को खारिज किए जाने का अर्थ यह नहीं है कि सक्षम अधिकारी दोबारा आवेदन पर विचार नहीं कर सकते।
कोर्ट ने कहा कि अन्य राज्य की महिला को ओबीसी प्रमाण-पत्र के आधार पर राजस्थान में ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता, लेकिन यदि वह राजस्थान में निवास करने लगी है और सामान्य श्रेणी के अंतर्गत ईडब्ल्यूएस मापदंडों को पूरा करती है, तो उसे ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र जारी किया जाना चाहिए। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे अभ्यर्थियों को ईडब्ल्यूएस आरक्षण के संबंध में उसी आधार पर लाभ प्राप्त होगा जैसे राज्य के मूल निवासियों को प्राप्त होता है।
विवाह के बाद राजस्थान में रहने वाली महिलाएं EWS प्रमाण-पत्र की पात्र — हाईकोर्ट ने दिए चार सप्ताह में जारी करने के निर्देश

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