रिपोर्ट – जयवंत भैरविया
24 News Udpate Udaipur. ये जो सड़क आप देख रहे हैं वो कोई सामान्य सड़क नहीं है। एकदम चकाचक, बिना गड्ढों वाली लेकसिटी की यह सड़क उदयपुर के किसी भी डिपार्टमेंट ने नहीं बनाई। यहां के प्रशासन को पता ही नहीं है कि यहां पर सड़क कैसे बन गई। आखिर वो कौनसे ग्रह-नक्षत्र थे जिनमें यहां के सभी अधिकारियों की आंखें बंद थीं और अचानक किसी ने काला जादू करते हुए इस सड़क को नदी के पेटे और कुछ निजी खातेदारों की जमीन पर इतने शानदार तरीके से उतार दिया।
ऐसा काम करने के लिए लाइजनिंग करने वाले और उपर तक कड़क नोट पहुंचाने वालों के दिल, गुरदे और जिगर को हम सलाम करना चाहते हैं। हर आम शहरवासी उनसे सीखना चाहता है कि ऐसा कारनामा आखिर किया कैसे जा सकता है? दलाली और भ्रष्टाचार की दुनिया में जिन्होंने अभी-अभी कदम बढ़ाए हैं उनके लिए तो यह सड़क एक केस स्टडी है। एक रोल मॉडल है जिसके सहारे वे अपना कॅरियर चमका सकते हैं।
आप सोच रहे होंगे कि हम इधर, उधर की बातें क्यों कर रहे हैं? ये क्यों नहीं बता रहे हैं कि जनता के भरोसे का कारवां आखिर कौन लूट कर मजे मार रहा है?
तो फिर आप भी देख लीजिए। यह उदयपुर के गांव बूझड़ा का नजारा है। आपने देवास परियोजना का नाम तो सुना ही होगा। इस परियोजना से पानी उदयपुर लाया जाता है। और रास्ते में एक टनल पड़ती है जिसको कोड़ियात टनल कहते हैं। वही कोड़ियात टनल जिसमें कुछ शरारती लोग केवल सेल्फी लेने के लिए दसियांं किलोमीटर अंदर चले गए थे, जान जोखिम में डालकर। और उसके बाद प्रशासन ने टनल के मुहाने को गेट लगाकर बंद कर पहरा बिठा दिया था।
तो, इस कोड़ियात टनल के पास ही बनाई गई है एक आलीशान और उंचे लोग, उंची पसंद वाली होटल जिसका नाम है ताज अरावली होटल।
इस होटल तक जाने वाली जो सड़क है वो कोड़ियात टनल से निकलने वाली अमरजोक नदी के अंदर बना दी गई है। यह वही अमरजोक नदी है जिसका पानी सीधे पिछोला में जाता है।
जानकार बताते हैं कि ताज अरावली के बाहर बहने वाली अमरजोक नदी में इससे पहले कभी ऐसी कोई सड़क नहीं थी। हमारे पास जो पुख्ता जानकारी है उसके अनुसार ना तो उदयपुर की यूडीए, ना ही जल संसाधन विभाग। ना ग्राम पंचायत , ना पीडब्ल्यूडी और यहां तक कि जिला प्रशासन ने भी यहां पर कोई सड़क नहीं बनवाई है। तो फिर मौके पर यह सड़क आखिर कहां से आ गई? आखिर किसने बनवा दी इतनी हाईटेक, बिना गड्ढों वाली और एकदम वेल मेंटेन्ड सड़क। ऐसी चकाचक सड़क तो उदयपुर शहर में आपको ढूंढे नहीं मिलेगी। बीच में लाइनिंग, 60 फीट चौड़ाई। किनारों पर ताज अरावली के माइल स्टोन जैसे प्रचार बोर्ड और दूसर तामझाम।
याने, ये तो पक्का है कि सड़क किसी ना किसी ऐसे फरिश्ते ने आसमान से उतारी है जिसने या तो अधिकारियों पर नोट बरसाए हैं या फिर नेताओं को मैनेज करते हुए उनकी तिजौरियों में नोटों के बादल फाड़े है।। आसमान से उतरी इस सड़क की धमक ऐसी कि यहां गार्ड पहरे दे रहे हैं। सड़क सार्वजनिक है, आपके और हमारे टेक्स के पैसों की चोरी से बनी लगती है, लेकिन मजाल कि आप इसे पार कर जाएं या इसके एक निश्चित दायरे से आगे फटक जाएं।
अब सवाल उठता है कि 50 से 60 फीट चौड़ी अमरजोक नदी पेटे में अतिक्रमण करके बनाई यह सड़क कब, किसने, किसके फायदे के लिए बनाई है। जनता पूछ रही है सवाल और उदयपुर के अधिकारी व नेता मुंह छिपाते फिर रहे हैं। आखिर बताइये तो सही। किसकी जेब में गए नोट कड़क, आसमां से किसने उतारी यह सड़क।
अब देखा जाए तो नदी पेटे में सड़क बनान सीधे-सीधे हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना है। मगर क्या आपको लगता है कि आजकल कोई आदेशों की परवाह करता भी है या नहीं??
सवाल ये कि क्या होटल का रसूख इतना बड़ा हो गया कि घुटनों पर बैठ जिला प्रशासन उसको प्रेम से तोहफे में सड़क गिफ्ट कर रहा है। ये तो ‘हम आपके दिल में रहते हैं’ टाइप मामला लगता है।
क्योंकि सड़क बनाने में लाखों का खरचा आता है, मैन और मशीन पावर लगता है। इजीनियरों का दिमाग लगता है, सरकारी परमिशन भी लगती है। इतने झमेले आखिर किसने, किसके लिए और बदले में क्या लेकर लिए, यह बड़ा सवाल है।
भाई साहब, अब सड़क बन ही गई हो हम और आप आखिर उखाड़ ही क्या लेंगे बनाने वालों का?? सब कुछ सिस्टम की दया से ही तो चल रहा है उदयपुर में।
अगर आप भी इस अद्भुत सड़क के दर्शन करना चाहें तो रामपुरा चौराहे से टर्न लेकर आगे बढ़ें और गांव बूझड़ा के रास्ते के आगे बनी होटलों के कई दिशा सूचक बोर्ड को देखते हुए आसानी से यहां तक पहुंचें। आप इसके दर्शन करके खुद को धन्य महसूस जरूर करें। क्योंकि ऐसे दिव्य दर्शन के मौके जीवन में बार-बार नहीं आते।
इस सड़क के निर्माण के समय अमरजोक नदी के एक हिस्से को मिट्टी के भराव से पाट दिया गया है जो नदी को स्लो पॉइजन देने जैसा है। इससे नदी के प्राकृतिक बहाव और पारिस्थितिकी संतुलन पर भी असर होना तय है। मगर इतना सब होते हुए भी यहां के दोनों दलों के बड़ी बड़ी बातें करने वाले नेता एकदम चुप हैं। जनप्रतिनिधि चुप हैं। उंचे पदों पर बैठै अफसर चुप है। यह चुप्पी आयड़ नदी के मुद्दे में भी है और अन्य दूसरे मसलों पर भी।

