24 न्यूज अपडेट, सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। नगर के आसपुर मार्ग लोहारिया तालाब के सामने स्थित कान्हडदास धाम बड़े रामद्वारा में चातुर्मास प्रवचन में शाहपुरा धाम के रामस्नेही संत तिलकराम महाराज ने कहा कि “प्रेम जहां है वहां कोई नियम नहीं, जहां पर्दा है वहां प्रेम नहीं रहता।” संत ने कहा कि प्रेम हृदय से उत्पन्न होता है। जिसके मन में चाहत होती है वह मिलने पर सुखी हो जाता है। इसी तरह भक्त बिना भक्ति के नहीं रह सकता। जीवन को प्रसन्न और खुशहाल जीना है तो हमें अन्याय, अत्याचार और अनीति के खिलाफ खड़ा होना होगा।
उन्होंने कहा कि अतीत को स्वीकार करना यानी अपनी गलतियों से सीखना, वर्तमान को स्वीकार करना यानी जो है उसी में संतोष रखना। जीवन को जन्नत की तरह जीने के लिए ग़म कम करने होंगे और रिश्तेदार कुमार्ग पर चलें तो उनसे मोह त्याग देना चाहिए।
सत्संग का प्रसाद बालमुकुंद शर्मा परिवार ने कराया। इस अवसर पर अनेक भक्त उपस्थित रहे।
प्रेम जहां है वहां कोई नियम नहीं – संत तिलकराम

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