24 News update नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगामी G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की ओर से आमंत्रण मिला है। दोनों नेताओं के बीच हाल ही में टेलीफोन पर संवाद हुआ, जिसमें पीएम मोदी ने कार्नी को चुनावी जीत की बधाई दी और कनाडा दौरे को लेकर उत्साह जताया।
G7 समिट इस बार 15 से 17 जून के बीच कनानास्किस, अल्बर्टा (कनाडा) में आयोजित की जा रही है। सम्मेलन से महज एक सप्ताह पहले भारत को भेजा गया यह निमंत्रण इसलिए खास माना जा रहा है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में भारत-कनाडा संबंधों में तीव्र गिरावट देखी गई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए लिखा कि उन्हें कार्नी से मिलकर संवाद करने की प्रतीक्षा है। मोदी ने आमंत्रण के लिए आभार जताते हुए यह भी संकेत दिया कि भारत G7 मंच पर सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार है।
2023 में ट्रूडो सरकार से बढ़ा था तनाव
भारत और कनाडा के बीच संबंध 2023 में तब बिगड़े, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने यह दावा किया था कि खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों की भूमिका हो सकती है। भारत ने इन आरोपों को “बेबुनियाद और अस्वीकार्य” बताते हुए खारिज किया और दोनों देशों ने अपने-अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया।
भारत का G7 से जुड़ाव: निरंतर बढ़ती वैश्विक भागीदारी
भारत 2019 से अब तक पांच बार G7 सम्मेलन में बतौर ‘गेस्ट कंट्री’ भाग ले चुका है। इस वर्ष कनाडा द्वारा भारत के साथ यूक्रेन और ऑस्ट्रेलिया को भी आमंत्रित किया गया है। अन्य आमंत्रित देशों की सूची अभी सार्वजनिक नहीं की गई है।
G7 क्या है और इसका वैश्विक महत्व क्या है?
G7 (Group of Seven) विश्व की सात सबसे विकसित लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्थाओं – अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, जापान, इटली और कनाडा – का समूह है। इसकी स्थापना 1975 में आर्थिक सहयोग और सामूहिक रणनीतिक संवाद के उद्देश्य से हुई थी। इस समूह का प्रभाव वैश्विक नीतियों, आर्थिक स्थिरता, जलवायु परिवर्तन और तकनीकी नवाचार पर निर्णायक होता है। भारत को इसमें गेस्ट कंट्री के रूप में आमंत्रित किया जाना इसकी बढ़ती अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता का संकेत है। मार्क कार्नी के सत्ता में आने के बाद यह पहली बड़ी कूटनीतिक पहल है, जिससे संकेत मिलते हैं कि भारत और कनाडा के रिश्तों में पुनः विश्वास की संभावनाएं हैं। आने वाले दिनों में यह देखा जाना बाकी है कि यह संवाद सिर्फ औपचारिक है या द्विपक्षीय संबंधों को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक ठोस कदम।
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