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‘‘करंटवाली’’ हो गई उदयपुर-हिम्मतनगर रेल लाइन, मगर दक्षिण का सपना अब भी अधूरा, जागे जनता-जर्नादन!!! जनप्रतिनिधियों को दौड़ाओ, कैम्पेन चलाओ, हाथ से निकल न जाए मौका

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24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। राजस्थान में रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर को नई ऊंचाई देते हुए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उदयपुर-हिम्मतनगर रेल लाइन विद्युतीकरण राष्ट्र को समर्पित कर दिया। इसके साथ ही इतिहास का नया अध्याय शुरू हो गया। अब उदयपुर से हिम्मतनगर तक की लाइन डीजल की जगह करंटवाली हो गई है। इसके मायने ये हुए कि अब ज्यादा तेजी से और ज्यादा संख्या में रेलगाड़ियां दौड़ सकती हैं। जिन लोगों के काले बाल उदयपुर में दक्षिण से रेलगाड़ियां अहमदाबाद के रास्ते आने का ख्वाब संजोते हुए सफेद हो गए हैं उनका सपना अब सच के करीब आ गया है। लेकिन इसे पूरा होने में अभी वक्त लगेगा। आज पीएम मोदी की ओर से उद्घाटन के बाद हिम्मतनगर तक की लाइन अब रेलवे को समर्पित कर दी गई है। अब इस लाइन पर कोई काम बाकी नहीं है। आज से ही यह पूरी की पूरी लाइन डीजल इंजन से मुक्त हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बीकानेर से वर्चुअल माध्यम से उदयपुर-हिम्मतनगर रेल लाइन के विद्युतीकरण परियोजना को राष्ट्र को समर्पित किया। परियोजना की कुल लंबाई 210 किलोमीटर है और यह राजस्थान के उदयपुर और डूंगरपुर जिलों से गुजरते हुए गुजरात के अरावली और साबरकांठा जिलों को जोड़ती है। परियोजना की अनुमानित लागत ₹194 करोड़ है। यह विद्युतीकरण परियोजना भारतीय रेलवे के शत प्रतिशत विद्युतीकरण लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आपको बता दें कि अभी इस लाइन पर दो पार्ट में काम हो रहा था। पश्चिम रेलवे व उप. रेलवे की ओर से काम किया जा रहा था। अब दोनों ने अपना काम समाप्त कर दिया है। रेलवे के पजेशन में आने के बाद अब वंदेभारत व सुपरफास्ट गाड़ियों के मिलने की बात कही जा रही है मगर यह सब रेलवे का ही डिसीजन पावर होगा।

नेताओं को जगाओ, बार-बार जगाओ, तभी मिलेगी नई रेलगाड़ियां
उदयपुर से अहमदाबाद का रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन वर्क पूरा चुका है। अब जो सबसे अहम सवाल है कि क्या अब बिना किसी बाधा के अहमदाबाद तक पहुंचा जा सकता है तो अब भी इसका उत्तर होगा नहीं। क्योंकि असारवा से अहमदाबाद का पांच किलोमीटर का छोटा सा टुकड़ा अब भी कनेक्टेड तो है मगर वह हमारे लिए उपलब्ध नहीं है। वहां पर उसी तरह से काम चल रहा है जैसे कि अभी उदयपुर सहित अन्य स्टेशनों पर बडे पैमाने पर री डवलपमेंट का काम चल रहा है। अब आते हैं तकनीकी पहलुओं पर तो विशेषज्ञों ने बताया कि अभी असारवा में प्लेटफार्म नंबर 6 से 11 तक काम चल रहा है। जब तक वह पूरा नहीं हो जाता व उसके बाद नेता नगरी उसका उद्घाटन नहीं करवा देती तब तक हमें दक्षिण की गाड़ियों का लाभ नहीं मिल पाएगा। अभी प्लेटफार्म संख्या चार तक जो गाडियों की अवाजाही हो रही है उसमें गाडियां आबूरोड पालनपुरा के रास्ते से निकल रही है। उनको बाइपास किया जा रहा है ऐसे में हमारे लिए जगह नहीं है। आपको बता दें कि इसी सप्ताह में अहमदाबाद से एक अधिकारी उदयपुर आए थे जिन्होंने भी यही बयान दिया था कि सिविल वर्क पूरा होने के बाद ही नई गाडियां एक्सपेक्टेड की जा सकती है। क्योंकि अभी असारवा स्टेशन पर यात्री सुविधा नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में अब जनता को यह काम करना है कि वह जन प्रतिनिधियों के समक्ष रेलगाड़ियों के प्रस्ताव के पुलिंदे लेकर जाए और लगातार फॉलोअप करते हुए उनको रेलमंत्री से लगतार मिलने पर मजबूर करें व हमारे मेवाड व वागड के रूट पर नई व उपयोगी रेलगाड़ियों की शुरूआत होने तक दम नहीं लें। इसके लिए कोई मजबूत संगठन व जनता की ओर से बड़ा कैम्पेन भी चलाया जा सकता है।

अभी असारवा रूट पर चल रही है 7 रेलगाडियां चल रही है
उदयपुर असारवा रूट पर अभी कुल 7 रेलगाडियां आवक जावक हो रही है अर्थात कुल 14 फेरे हो रहे हैं। इसमें पांच तो रोज चल रही है जिसमें कि जयपुर-असारवा इंदौर-असारवा, चित्तौड-असारवा, उदयपुर-असारवा आदि हैं। आगरा से असारवा तक की रेलगाडी स्पेशल गाडी के रूप में 30 जून तक ही होलिडे स्पेशल के नाम से चल रही है। इसी तरह से दो आवक जावक वाली गाडियां कोटा-असारवा है जो बुधवार व शनिवार को चलती हैं। एक साप्ताहिक गाडी कानपुर से असारवा हर मंगलवार को चल रही है।

यह होगा फायदा
गुजरात ने पहले ही अपने सभी ब्रॉड गेज रेलवे लाइनों का विद्युतीकरण पूरा कर लिया है, और यह परियोजना राजस्थान को भी इस लक्ष्य के करीब लाती है। विद्युत इंजन डीजल की तुलना में अधिक ऊर्जा कुशल होते हैं, जिससे परिचालन लागत में लगभग 20-25 प्रतिशत तक की कमी आती है। विद्युतीकरण से कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आएगी, जो भारत के “नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन“ लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक है। अब राजस्थान और गुजरात के बीच की कनेक्टिविटी को मजबूत करेगी, जिससे दोनों राज्यों के लोगों को यात्रा में सुविधा होगी। विद्युतीकरण प्रणाली में 25 केवी एसी ओवरहेड इलेक्ट्रिफिकेशन सिस्टम का उपयोग किया गया है। अब इंजन परिवर्तन की आवश्यकता समाप्त हो गई है पहले डीजल से इलेक्ट्रिक इंजन में परिवर्तन की आवश्यकता होती थी। रेलवे की ओर से दावा किया जा रहा है कि इस रूट पर वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी तेज गति की ट्रेनें चलाए जाने की संभावना है। दक्षिण राजस्थान और उत्तर गुजरात में और ट्रेनों की शुरुआत की जाएगी।

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