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नेताओं को जगाओ, अहमदाबाद तक तार जुड़वाओः श्यामलाजी रोड से बिछीवाड़ा तक विद्युत इंजन की सफल स्पीड ट्रायल, सितंबर तक हिम्मतनगर इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा होते ही आ सकेगी मुंबई-चेन्नई की रेलगाड़ियां

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24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। श्यामलाजी रोड से बिछीवाड़ा तक विद्युत इंजन की कल सफल स्पीड ट्रायल हो गई है। 30 जून को मध्यरात्रि 00.50 बजे श्यामलाजी रोड से 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से इंजन दौड़ा और बिछीवाड़ा स्टेशन पर 1 बजकर 16 मिनट पर अर्थात कुल 26 मिनट में बिना किसी बाधा के पहुंच गया। स्पीड ट्रायल सफल रहा। इस स्पीड ट्रायल रन में रेलवे के अधिकारी व रेल विद्युतीकरण कार्य में सलग्न सालासर टेक्नो इंजीनियरिंग लिमिटेड (एसटीईएल) के अधिकारी मौजूद थे जिन्होंने बारीकी से निरीक्षण किया। सफल स्पीड ट्रायल के बाद अब श्यामलाजी रोड से हिम्मतनगर तक कुल 43 किलोमीटर तक की शेष रही दूरी में इलेक्ट्रिक पोल आदि का काम पूरा हो चुका है। अब ट्रेक पर वायरिंग का काम त्वरित गति से चल रही है जो 31 अगस्त तक पूरा होने की संभावना है। आपको बता दें कि 30 मार्च, 2024 को बिछीवाड़ा से डूंगरपुर तक के रेलगाड़ी के रास्ते पर सफल विद्युत इंजन की स्पीड ट्रायल की जा चुकी है। उदयपुर से बिछीवाड़ा तक का रेल संरक्षा आयुक्त का निरीक्षण हो चुका है। शीघ्र ही बिछीवाड़ा से हिम्मतनगर तक सीआरएस का निरीक्षण होना संभावित है। जहां तक उदयपुर की बात करें तो विद्युतीकरण का काम जयसमंद तक चालू कर दिया गया है। उधर हिम्मतनगर तक का काम चल रहा है जो सितंबर तक होने की उम्मीद है। उसके बाद चाहिए राजनीतिक इच्छाशक्ति क्योंकि अहमदाबाद से हिम्मतनगर की कनेक्टिविटी पहले से है। ऐसे में उदयपुर सीधा ही मुंबई और साउथ की रेलगाड़ियों की आवाजाही के लिए तैयार हो जाएगा। उसके लिए अभी से मांग उठानी होगी और सिविल सोसायटी व राजनेताओं को मिल कर मोर्चाबंदी करते हुए लगातार मांग बुलंद करनी होगी। अब तक का तुजुर्बा यही कहता है कि मेवाड़ से पुरजोर मांग नहीं उठती और रेलगाड़ियों के लिए जमकर पैरवी नहीं की जाती है। ऐसे में नए सांसद से डॉक्टर मन्नालाल रावत साहब से बड़ी उम्मीदें हैं। क्योंकि रोड ट्रांसपोर्ट के वे पहले से एक्सपर्ट हैं, रेलवे में भी उनकी विशेषज्ञता व विजन-दिल्ली तक एप्रोच का फायदा उदयपुर को मिल सकता है। आपको यह भी बता दें कि स्टशनों के सौंदर्यीकरण सहित अन्य काम तो अक्टूबर 2025 तक पूरे करने की डेडलाइन दी गई है और अब तक केवल 35 प्रतिशत काम ही हुआ है। ऐसे में स्टेशन री डवलपमेंट के काम को नजअंदाज करते हुए ट्रेक पर तो अहमदाबाद से कनेक्टिविटी वाली रेलगाड़ियां चलाई ही जा सकती हैं। पहला प्रयास यह होना चाहिए कि उदयपुर से अहमदाबाद एक रेलगाड़ी सितंबर के बाद हर हाल में जाए। यदि एक रेलगाड़ी चल जाएगी तो दूसरी पर विचार अपने आप होना शुरू हो जाएगा। जनता को भी चाहिए तकि इस मामले में वो पक्ष और विपक्ष के नेताओं को लगातार जगा कर रखे।

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