24 News Update उदयपुर। उदयपुर बार एसोसिएशन के चुनाव ने इस बार केवल पदाधिकारी नहीं चुने, बल्कि वकीलों की स्पष्ट पसंद, परंपरा और भरोसे की मुहर भी लगा दी। कड़े मुकाबले, भारी मतदान और देर रात घोषित नतीजों के बीच यह साफ हो गया कि बार ने नेतृत्व की कमान जितेन्द्र जैन के हाथों में सौंप दी है।
सुबह 10 बजे शुरू हुआ मतदान दोपहर 2 बजे तक चला और करीब 80 प्रतिशत मतदान ने यह संकेत दे दिया था कि चुनाव सामान्य नहीं है। कुल 2167 पंजीकृत सदस्यों में से बड़ी संख्या में वकीलों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ी, रुझान स्पष्ट होते चले गए और कोर्ट परिसर में पहले ही उत्साह का माहौल बनने लगा।
रात करीब साढ़े ग्यारह बजे जब अधिकृत परिणाम घोषित हुए, तब तक कोर्ट परिसर जश्न में बदल चुका था। अध्यक्ष पद पर जितेन्द्र जैन ने 733 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की, जो यह दर्शाता है कि यह जीत संयोग नहीं, बल्कि संगठित समर्थन और भरोसे का परिणाम है। इस चुनाव के साथ ही बार में एक बार फिर वही नेतृत्व परंपरा लौटी, जिसने पहले भी संस्था को दिशा दी थी।
कार्यकारिणी के अन्य पदों पर भी मतदाताओं ने स्पष्ट निर्णय दिया। उपाध्यक्ष, महासचिव, सचिव, वित्त सचिव और पुस्तकालय सचिव—हर पद पर मतों का अंतर यह बताने के लिए पर्याप्त था कि बार के सदस्यों ने किसी असमंजस में नहीं, बल्कि सोच-समझकर फैसला किया है। खास बात यह रही कि वित्त सचिव पद पर बेहद मामूली अंतर से जीत ने मतगणना को अंतिम क्षण तक रोचक बनाए रखा।
चुनाव के दौरान कोर्ट परिसर पूरी तरह लोकतंत्र का जीवंत उदाहरण बना रहा। वरिष्ठ अधिवक्ताओं से लेकर युवा वकीलों तक, सभी ने अपने मत का प्रयोग किया। मतदान के प्रति प्रतिबद्धता का सबसे सशक्त दृश्य तब सामने आया, जब एक पूर्व अध्यक्ष दोनों पैरों में प्लास्टर के बावजूद व्हीलचेयर पर मतदान करने पहुंचे—यह दृश्य बार की लोकतांत्रिक चेतना का प्रतीक बन गया।
इस चुनाव में केवल व्यक्ति नहीं चुने गए, बल्कि मुद्दों पर भी मत पड़ा। महिला अधिवक्ताओं के लिए सुविधाएं, पार्किंग व्यवस्था और उदयपुर में हाईकोर्ट बेंच की मांग जैसे सवाल चुनावी चर्चा के केंद्र में रहे। यही कारण है कि नई कार्यकारिणी से अपेक्षाएं भी उतनी ही बड़ी हैं।
नतीजों के बाद समर्थकों ने विजयी पदाधिकारियों को कंधों पर उठाया, मिठाइयां बांटी गईं और कोर्ट परिसर देर रात तक उत्सव स्थल बना रहा। यह केवल जीत का उत्सव नहीं था, बल्कि उस भरोसे का उत्सव था, जो बार के सदस्यों ने अपने नए नेतृत्व पर जताया है।
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