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यो कई वेई ग्यो : MLSU छात्रों ने किया था प्रदर्शन, अनुशासनहीनता के आरोप में छह महीने के लिए निष्कासित, विरोध के भूचाल की आशंका

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24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों के छात्रों को अनुशानसहीनता के मामले में निलंबन के आदेश आते ही अब भूचाल आने की आंशका प्रबल हो गई है। इसमें से कुछ डबल इंजन की सरकार की विचारधारा वाले संगठन से हैं तो कुछ हाथ वाले संगठन से। देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में इस मामले में दोनों पक्षों का क्या रूख रहता है। फिलहाल विज्ञान महाविद्यालय से अविनाश कुमावत, जैकी मीणा, युवराज सिंह, कला महाविद्यालय से हर्षवर्धन सिंह चौहान, अंशुमान सिंह शक्तावत, कॉमर्स कॉलेज से त्रिभुवनसिंह राठौड़, लॉ कॉलेज के दो छात्रों प्रवीण टांक एवं रौनक राज सिंह शक्तावत के निष्कासन की अनुशंस की गई है।
निष्कासन की अनुशंसा में कुलसचिव ने विभिन्न कॉलेजों के डीन को लिखा कि दिनांक 14 जुलाई 2025 को विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन पर छात्रों द्वारा कुलगुरु महोदया एवं कुलानुशासक के विरुद्ध नारेबाजी करते हुए आंदोलन में भाग लिया गया और कुलानुशासक के साथ दुर्व्यवहार भी किया गया।
इस गंभीर घटना के संज्ञान में लेते हुए कुलगुरु महोदया के निर्देशानुसार अनुशासन समिति का गठन किया गया। जांच के बाद दोषी पाया गया।
अनुशासन समिति की अनुशंसा और कुलगुरु के निर्देशानुसार, दोषी छात्रों को वर्तमान सेमेस्टर अथवा छह महीने के लिए महाविद्यालय से निष्कासित कर दिया गया है। इस फैसले के बाद से राजनीति गरमाने की पूरी संभावना बन गई है क्योंकि स्टूडेंट एबीवीपी व एनएसयूआई से जुड़े हैं। इनकी प्रमुख मांग छात्रसंघ चुनाव थी। नोटिसों के सामने आने के बाद से आगे के आंदोलन की रणनीति भी बनना तय हो गई है। छात्रों का कहना है कि आंदोलन होते रहते हैं, इससे पहले कभी भी इस तरह की कार्रवाई सुविवि के इतिहास में नहीं हुई, है। ऐसा लगता है कि इंटेंशनली छात्र राजनीति को कुचलने का प्रयास किया जा रहा है। इस मामले में आने वाले दिनों में जोरदार प्रदर्शन भी हो सकता है।
यह फैसला हास्यास्पद है
इस बारे में रौनकराज सिंह ने कहा कि यह न्यायोचित नहीं है। यह फैसला ही हास्यास्पद है। वे एलएलबी सेकण्ड इयर के स्टूडेंट है व अभाविप के कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन करना लोकतांत्रिक अधिकार है। इस प्रकार की कार्रवाई सीधे सीधे तानाशाही है। अन्य छात्रों का कहना है कि यह कार्रवाई अनुचित व उनके अधिकारों का हनन है। फिलहाल यह मामला संगठन व सत्ता के पास भी पहुंच गया है व अंदरखाने बातचीत के चैनल भी खोल दिए गए हैं।

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