ज्ञान गंगा महोत्सव के आठवें दिन हजारों श्रद्धालु हुए भावविभोर, सांसद मन्नालाल रावत ने लिया आशीर्वाद
24 News update उदयपुर, 27 जुलाई। राष्ट्रसंत आचार्य श्री पुलक सागर महाराज ने रविवार को नगर निगम प्रांगण में आयोजित 27 दिवसीय ज्ञान गंगा महोत्सव के आठवें दिन अपने प्रवचनों से श्रद्धालुओं को प्रेम, वात्सल्य और आध्यात्मिक जागृति की गहराइयों से परिचित कराया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हर साल “णमोकार मंत्र दिवस” घोषित करने की अपील करते हुए कहा,
“जैसे देश में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है, वैसे ही हर वर्ष एक दिन णमोकार मंत्र दिवस के रूप में घोषित हो ताकि आध्यात्मिक चेतना का यह महामंत्र जन-जन तक पहुंचे।”
सांसद रावत हुए अभिभूत
कार्यक्रम में लोकसभा सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने विशेष रूप से पहुंचकर आचार्यश्री के दर्शन किए और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने कहा,
“आचार्य पुलक सागर महाराज का चिंतन समाज को शांति, प्रेम और आत्मिक विकास की दिशा में ले जा रहा है। राष्ट्र निर्माण में ऐसे संतों की भूमिका अमूल्य है।”
प्रवचन में बोले आचार्यश्री — “प्रेम ही सबसे बड़ी भाषा है”
आचार्यश्री ने कहा,
“भारत विविध भाषाओं का देश है, लेकिन प्रेम एक ऐसी भाषा है जिसे न केवल मनुष्य बल्कि पशु भी समझते हैं। प्रेम न मांगने से मिलता है, न दबाव से — जितना बांटो, उतना बढ़ता है। आज दुनिया को सबसे ज़्यादा ज़रूरत है ‘प्रेम की भाषा’ की। जीवन में सबसे बड़ा मंत्र प्रेम का मंत्र है, जिसमें हृदय में प्रेम होता है, वहीं सच्चा देवालय होता है।”
उन्होंने मीरा और कृष्ण के उदाहरण से निस्वार्थ प्रेम की परिभाषा दी और कहा कि “मीरा ने एक मूर्ति से ऐसा प्रेम किया कि वो इतिहास बन गईं। वही प्रेम मीरा को भक्त शिरोमणि बना गया।”
भावनात्मक और सामाजिक संदर्भ भी जोड़े
प्रवचनों में आचार्यश्री ने पारिवारिक मेलजोल, सामूहिक भजन-भोजन, और आपसी संवाद को आवश्यक बताते हुए कहा,
“आज के युग में कुत्ता अजनबी को देखकर भौंकता है, लेकिन इंसान अपनों को देखकर भौंकता है, यह दुर्भाग्य है। प्रेम के पौधे को सूखने मत दो, उस पर समझदारी का जल डालते रहो।”
उन्होंने समाज से आग्रह किया कि मास में कम से कम एक बार परिवार साथ भोजन करें, चाहे वे अलग-अलग घरों में क्यों न रहते हों।
हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में हुआ भव्य आयोजन
कार्यक्रम में विनोद फान्दोत, राजकुमार फत्तावत, पारस सिंघवी, प्रकाश सिंघवी, अशोक शाह, आदिश खोडनिया, नीलकमल अजमेरा, शांतिलाल नागदा समेत उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, ऋषभदेव, भीण्डर, खेरवाड़ा, कानोड़, धरियावद आदि क्षेत्रों से हजारों की संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का मंगलाचरण भक्ति महिला मंडल ने किया, जबकि पाद प्रक्षालन श्रीपाल कड़वावत परिवार द्वारा संपन्न हुआ।
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