उदयपुर में मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट हुए किसान, आदिवासी और श्रमिक संगठन, रेली व प्रदर्शन की घोषणा
24 News update उदयपुर, 6 जुलाई। केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ आगामी 9 जुलाई को आयोजित होने वाली देशव्यापी हड़ताल को उदयपुर जिले के किसान और आदिवासी संगठनों का भी समर्थन मिल गया है। रविवार को शिराली भवन में हुई संयुक्त बैठक में इस हड़ताल को व्यापक जन समर्थन देने का निर्णय लिया गया।
बैठक की अध्यक्षता मेवाड़ किसान संघर्ष समिति के संयोजक विष्णु पटेल ने की। उन्होंने कहा कि, “जब केंद्र सरकार ने किसान विरोधी तीन काले कानून लागू करने की कोशिश की, तब मजदूर संगठनों ने किसानों के साथ एकजुटता दिखाकर उसे वापस लेने पर मजबूर कर दिया। अब जब सरकार देश के मजदूरों के अधिकारों से जुड़े 44 कानूनों को समाप्त कर उन्हें मात्र तीन श्रम संहिताओं में बदल रही है, तब देश का किसान भी मजदूरों के साथ एकजुट होकर इसका विरोध करेगा।”
विष्णु पटेल ने यह भी कहा कि देश के विकास में किसान और मजदूर दोनों की समान भूमिका है, लेकिन सरकार की नीतियाँ इन्हें हाशिये पर ढकेल रही हैं। इसलिए जनहित के लिए इस संघर्ष में व्यापक एकता जरूरी है।
आदिवासी समाज ने भी जताया विरोध
अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के जिलाध्यक्ष घनश्याम तावड ने कहा कि आदिवासी किसान अत्यंत दयनीय स्थिति में हैं, लेकिन भाजपा के नेता और जनप्रतिनिधि उन्हें असली मुद्दों से भटका कर धार्मिक आधार पर बांटने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज अब भ्रमित नहीं होगा और वह मनरेगा में 200 दिन काम व ₹600 प्रतिदिन मजदूरी, वन अधिकार के पत्ते, एमएसपी की गारंटी, तथा शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे मूलभूत अधिकारों की मांग को लेकर इस हड़ताल में सक्रिय भागीदारी निभाएगा।
कई किसान व आदिवासी संगठनों का समर्थन
बैठक में अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष प्रभु लाल भगोरा, आदिवासी जनाधिकार एका मंच के जिलाध्यक्ष प्रेम पारगी, तथा राजस्थान किसान सभा के जिलाध्यक्ष देवीलाल डामोर ने भी विचार व्यक्त करते हुए 9 जुलाई की हड़ताल व रैली में भाग लेने का विश्वास दिलाया।
सीटू और अन्य ट्रेड यूनियनों की तैयारियाँ
ट्रेड यूनियन काउंसिल के संयोजक पी.एस. खींची ने बताया कि हड़ताल की तैयारियों के तहत सीटू की बैठक जिला सचिव हीरालाल सालवी की अध्यक्षता में आयोजित की गई, जिसमें सीटू जिलाध्यक्ष राजेश सिंघवी ने हड़ताल की मांगों को विस्तार से बताया।
इन मांगों में प्रमुख रूप से निम्न शामिल हैं:
- श्रम संहिता की वापसी
- वेतन कटौती, छंटनी, और महंगाई पर रोक
- न्यूनतम मजदूरी ₹26,000 प्रति माह
- सामाजिक पेंशन ₹10,000 प्रतिमाह
- ठेका प्रथा समाप्त करना
- आंगनबाड़ी, आशा सहयोगिनी व सहायिका को नियमित करना
- पुरानी पेंशन योजना लागू करना
- सभी मजदूरों को PF, ESI और कार्यस्थल सुरक्षा की गारंटी
- सफाईकर्मियों व खान मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
- सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री रोकना और निजीकरण पर विराम
- सहारा, आदर्श, संजीवनी जैसी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी में निवेशकों की राशि लौटाना
- शहर के परिधि क्षेत्र में अतिक्रमण के नाम पर बेदखली रोकना और पट्टे देना
- ठेला व फुटपाथ व्यवसायियों को रोजगार सुरक्षा
- निर्माण मजदूर कल्याण बोर्ड में भ्रष्टाचार पर रोक
- घरेलू कामगार महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून
- आवश्यक वस्तुओं को जीएसटी से मुक्त कर मूल्य नियंत्रण
9 जुलाई को निकलेगी रैली, राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन
पी.एस. खींची ने बताया कि 9 जुलाई को सुबह 11 बजे सभी मजदूर और किसान संगठनों के कार्यकर्ता टाउन हॉल से रैली प्रारंभ करेंगे, जो जिला कलेक्ट्री पहुँचकर प्रदर्शन करेगी और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा।
इस अवसर पर ट्रेड यूनियन काउंसिल के सह-संयोजक मोहन सिन्याल, एटक के हिम्मत चाग्वाल, इंटक के खुशवंत कुमावत, ऐक्ट के सौरभ नरूका, और एक्ट(यू) की लीला शर्मा सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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