24 News Update उदयपुर। 24 न्यूज़ अपडेट की एक्सक्लूसिव स्टोरी “इनका कोई लेवल है के नहीं, लगातार बना रहे सड़क के ऊपर सड़क, धंस रहा मकानों का कुर्सी लेवल” का बड़ा असर अब राजस्थान विधानसभा तक पहुँच गया है। देश के जाने माने आरटीआई एक्टिविस्ट और पत्रकार जयवंत भैरविया की इस खोजी रिपोर्टिंग के बाद पहली बार नगरीय विकास विभाग को सदन में जवाब देना होगा। विधानसभा प्रश्नकाल में यह मुद्दा आधिकारिक रूप से सूचीबद्ध किया गया है।
23 सितंबर, 2024 को प्रकाशित इस रिपोर्ट में जयवंत भैरविया ने खुलासा किया था कि राजस्थान के किसी भी नगर निकाय या विकास प्राधिकरण के पास सड़कों की अधिकतम ऊंचाई तय करने के मानक ही नहीं हैं। RTI के जरिये जयपुर, जोधपुर और उदयपुर विकास प्राधिकरणों से मिली सूचनाओं ने साफ किया कि सड़क निर्माण के नाम पर ठेकेदार मनमर्जी से सड़क का लेवल बढ़ा रहे हैं, जिससे पूरे मोहल्ले जलमग्न हो रहे हैं और मकानों के कुर्सी तल (प्लिंथ लेवल) सड़क से नीचे चले गए हैं।
जयपुर में इसी लापरवाही की वजह से विद्यानगर में 3 लोगों की मौत हो गई थी, जब पानी भरने से मकान का बेसमेंट डूब गया। इस घटना के बाद भी प्रशासनिक लापरवाही जारी रही।
अब विधानसभा में पूछा जाने वाला सवाल यही है कि बिना पुरानी सड़क हटाए नई सड़क बिछाने से भवनों का भू-तल सड़क सतह से नीचे हो रहा है | सरकार इसकी नीति और जिम्मेदारी स्पष्ट करे। साथ ही, यह भी पूछा जाएगा कि क्या सड़क निर्माण के समय पुरानी सतह को हटाकर ही नया निर्माण करने के निर्देश हैं? अगर हाँ, तो उनकी अनुपालना क्यों नहीं हो रही? सरकार को सदन की मेज पर इन सवालों के लिखित जवाब रखने होंगे।
यह मुद्दा इसलिए बड़ा है क्योंकि यह न सिर्फ भ्रष्टाचार को उजागर करता है बल्कि सुरक्षा के गंभीर खतरे को भी सामने लाता है। जलभराव से मकानों का लेवल नीचे चला गया है और कई जगह जानमाल का नुकसान हुआ है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद कॉलोनियों में सड़क का लेवल मनमर्जी से बढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स और अन्य योजनाओं में करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद नागरिकों को कोई ठोस लाभ नहीं मिल रहा है।
जयवंत भैरविया ने कहा, “यह संघर्ष की जीत है। एक साल पहले जब हमने यह रिपोर्ट प्रकाशित की, तो पूरे प्रदेश से आरटीआई के जरिए जानकारी जुटाई। जवाब चौंकाने वाले थेकिसी निकाय के पास सड़क लेवल तय करने के मानक ही नहीं हैं। अब विधानसभा में यह मुद्दा उठेगा और सरकार को जवाब देना होगा। हमारी मांग है कि राज्य सरकार तत्काल सभी शहरों के लिए सड़क की अधिकतम ऊंचाई का नियम तय करे और सड़क बनाने से पहले पुरानी सतह हटाना अनिवार्य किया जाए।” अब यह विषय सार्वजनिक चर्चा का हिस्सा बन रहा है। नागरिकों से अपील है कि वे अपने जनप्रतिनिधियों से सवाल करें-सड़क निर्माण में नियम क्यों नहीं हैं? हर साल सड़कों पर परतें क्यों चढ़ाई जाती हैं? और जनता के टैक्स के पैसे से बनने वाली सड़कें क्या सुरक्षित और टिकाऊ हैं?
🔹 RTI आवेदन में मांगी गई 5 प्रमुख सूचनाएं
शहर की कॉलोनियों में सड़कों के उच्चतम लेवल (Maximum Road Level) के तय मानकों की सत्यापित सूचना।
मकान निर्माण के लिए अधिकतम निर्धारित कुर्सी तल (Plinth Level) की जानकारी।
कॉलोनियों में मकान बनाने से पूर्व सड़क के अधिकतम संभावित लेवल की जानकारी देने वाले अधिकारी का नाम व पदनाम।
पहले से बने मकानों की कुर्सी तल से ऊपर सड़क का लेवल ले जाने के तय मानक।
उन कॉलोनियों की सूची जहां सड़क तल व मकान कुर्सी तल संबंधी मुटाम, सूचना पट्ट, साइन बोर्ड लगाए गए हैं।
🔍 जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) का जवाब: “सूचना सृजित नहीं की जा सकती”
JDA के विभिन्न विभागों (मुख्य नगर नियोजक, भवन मानचित्र समिति, अभियंत्रिकी शाखा) ने बिंदु संख्या 1 से 4 पर कहा कि सूचना उपलब्ध नहीं है या सृजित नहीं की जा सकती।
अभियंत्रिकी शाखा ने खुद को इस सूचना से असंबंधित बताते हुए जवाब दिया कि उनके विभाग में कोई लोक सूचना अधिकारी (PIO) ही नहीं है।
केवल बिंदु संख्या 2 (कुर्सी तल) के बारे में कहा गया कि यह जानकारी भवन विनियम 2020 में दर्ज है।
अंततः JDA ने आवेदन को इधर-उधर ट्रांसफर कर दिया, पर स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
🔍 जोधपुर विकास प्राधिकरण (JDA-Jodhpur) का जवाब: “सूचना हमारे पास नहीं”
JDA (दक्षिण) ने इस विषय को PWD के पास भेज दिया, जबकि PWD ने इसे वापस नगर निगम और विकास प्राधिकरण के पास बताया।
JDA (उत्तर) ने अधिकांश बिंदु अभियंत्रिकी शाखा के जिम्मे बताए।
अभियंत्रिकी शाखा ने साफ कहा: “सूचना किसी भी रूप में संधारित नहीं की गई है।”
🔍 उदयपुर विकास प्राधिकरण (UDA) का जवाब: “मौके की स्थिति पर निर्भर”
सड़क का उच्चतम लेवल मौके की स्थिति व ढलान देखकर तय होता है, कोई लिखित मानक नहीं।
मकान कुर्सी तल भवन विनियम 2020 में दर्ज।
कॉलोनी में सड़क का संभावित लेवल बताने के लिए UDA में कोई अधिकारी अधिकृत नहीं।
सड़कों को मकानों से ऊपर करने के कोई मानक नहीं, मौके के अनुसार निर्णय।
किसी भी कॉलोनी में कोई साइन बोर्ड/सूचना पट्ट नहीं लगे।
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