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राम कथा में सीता हरण का प्रसंग

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24 News Update सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। नगर के आसपुर मार्ग योगिन्द्र गिरी तलहट पर स्थित प्रभुदास रामद्वारा योगेन्द्र गिरी में दिव्य चातुर्मास के अंतर्गत रामकथा में रामस्नेही संप्रदाय मेडता के उत्तराधिकारी संत रामनिवास शास्त्री ने सीता हरण के प्रसंग पर विस्तार से जानकारी दी गई।
शास्त्री ने कहा राम और लखन ने सीता मैया को कुटिया मे नही पाकर भयभीत और व्याकुल हो गए और सीता की खोज वन मे निकल गए रास्ते मे गंभीर रूप से जटायु का संगम हुआ जिसे भगवान ने उस पर एक बार हस्त घुमाने पर सारे दर्द दूर पंख कटे देख जानकी के खोज दु:ख को भूल जटायु को गोद मे लेकर शरीर के एक-एक अंग को निहार कर दु:ख को दूर करने की कोशिश की जिसने सीता की लाज बचाने के लिए अपने प्राणो को खतरे मे डाला। पुत्र के वियोग मे जैसे पिता विलाप करते है वैसे राम विलाप करते है भगवान से प्रार्थना की आप सगुण और निर्गुण है और भगवान की गोद मे जटायु ने प्राण त्याग देते है। राम ने उनका अन्तिम संस्कार किया गया। संत ने कथा के दौरान शबरी आश्रम तथा उनके इन्तजार की कथा सुनाई भगवान कई प्रतीक्षा की जाती है परीक्षा नही ली जाती है परमात्मा का भजन,स्मरण और ध्यान जिस स्थान पर किया जाता उस जगह का प्रत्येक अंश राम और परमात्मा मय और निवास करने वाला उसी मे लीन हो जाता है भगवान राम ने शबरी के जुठे बेर खाये वही लक्ष्मण ने खाने से मना कर दिया। कथा के दौरान श्रीराम लखन भए व्याकुल जब कुटिया मे सीता नही पावे …….,मारे आया आया मारे राम-लखन घर आया….मारो वालो भूखो छे प्रेम नो रे…..सहित मेरी झोपडी के भाग्य आज खुल जाएंगे राम…..सहित भजन आकाशवाणी गायक कैलाश माकड ने प्रेम भाव के वश मे होकर शबरी जोडे वाट राम मोरे घर…..भजन प्रस्तृत किये विभिन्न वाद्ययंत्रो पर लोकेश ठाकुर,कैलाश माकड,मंगेश भाटी ने संगत दी। कथा के यजमान .श्रद्धा-नीरज पंचाल दोनो के जन्मदिन उपलक्ष्य मे पंडित विनोद त्रिवेदी के मंत्रोच्चारण से पोथी- पूजन और आरती के साथ संपन्न किया गया। संत उदयराम के सानिध्य संत अमृतराम आयोजित हुई। इस अवसर पर मधुकर भावसार,जयन्तिलाल राठौर, कमल शर्मा,बादल मकवाणा,प्रसाद भावसार, विजयराम भावसार, मुकेश कुमार भावसार,प्रभाशंकर फलोत,गणेशलाल भावसार साबला,लोकेश भावसार, विष्णु भावसार नगर के कई समाजों के महिला पुरुष उपस्थित थे।

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