24 News Update भीलवाड़ा। भीलवाड़ा जिले के सदर थाना क्षेत्र के इंद्रास गांव में अंधविश्वास के चलते एक मासूम की जान चली गई। परिजनों ने सर्दी-जुकाम और सांस लेने में तकलीफ से पीड़ित 9 महीने के बच्चे को अस्पताल ले जाने के बजाय एक भोपा (झाड़-फूंक करने वाला) के पास पहुंचाया। वहां भोपे ने इलाज के नाम पर बच्चे को गर्म सरिए से पेट पर दाग दिया, जिससे उसकी हालत और बिगड़ गई।
परिजन उसे घर ले आए, लेकिन बच्चे की तबीयत लगातार खराब होती चली गई। गुरुवार को स्थिति गंभीर होने पर उसे महात्मा गांधी अस्पताल, भीलवाड़ा लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे वेंटिलेटर पर रखा। तीन दिन तक इलाज के बाद शनिवार देर रात मासूम ने दम तोड़ दिया।
रविवार सुबह पुलिस ने पोस्टमॉर्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया। बच्चे की मौत से गांव में शोक का माहौल है। थाना प्रभारी कैलाश बिश्नोई ने बताया कि मृतक बच्चे का नाम गोविंद है, जो देवा बागरिया का बेटा था। मामले में भोपे के खिलाफ लापरवाही और गैरकानूनी चिकित्सा पद्धति अपनाने का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
पीएमओ डॉ. अरुण गौड़ ने बताया कि बच्चे को निमोनिया था और उसे गंभीर हालत में भर्ती किया गया था। उन्होंने कहा कि “गर्म सरिए से डाम लगाने से बीमारी ठीक नहीं होती, बल्कि इससे संक्रमण और बढ़ जाता है। इससे मरीज शॉक, ब्लीडिंग या इन्फेक्शन की चपेट में आ सकता है। इस केस में भी ऐसा ही हुआ।”
डॉ. गौड़ ने ग्रामीणों से अपील की है कि बीमारियों में झाड़-फूंक या डाम लगाने जैसी अंधविश्वासी परंपराओं से बचें और तुरंत प्रशिक्षित डॉक्टरों से इलाज कराएं।
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