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आचार्य सुनील सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में आठ दिवसीय सिद्धचक्र महामंडल आज से प्रारंभ

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24 News Update सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। गुजरात के अहमदाबाद में आचार्य श्री सुनील सागरजी महाराज ससंघ के सानिध्य में आठ दिवसीय सिद्धचक्र महामंडल बुधवार से यूनिवर्सिटी ग्राउंड, अहमदाबाद नगरी में प्रारंभ होगा।
आचार्य श्री सुनील सागरजी महाराज ससंघ के 61 पिच्छी चातुर्मास समापन अवसर पर सकल दिगंबर जैन समाज तथा चातुर्मास समिति के संयोजन में यह आठ दिवसीय श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान बुधवार, 29 अक्टूबर से प्रतिष्ठाचार्य पंडित विनोद उर्फ विरल पगारिया के तत्वावधान में प्रारंभ होगा।
विधान समिति के विपिन पंचोरी (साबला) ने बताया कि बुधवार को ध्वजारोहण के साथ विधान प्रारंभ होकर 5 नवम्बर को विश्व शांति महायज्ञ विधान की पूर्णाहुति के साथ सम्पन्न होगा। बुधवार सुबह मंदिर में अर्घ समर्पण कर जिनाज्ञा के साथ आचार्य संघ को अर्घ चढ़ाकर गुरु आज्ञा विधि पूर्ण की जाएगी। इसके बाद साहू शरणम भवन से बैंड-बाजों के साथ घटयात्रा शोभायात्रा निकाली जाएगी जो कार्यक्रम स्थल सन्मति सभागार पहुंचेगी।
वहां मंडप उद्घाटन, भूमि शुद्धि व ध्वजारोहण विधि के पश्चात सकलीकरण, इंद्र प्रतिष्ठा, मंडप प्रतिष्ठा, अखंड दीप प्रज्वलन, पंच मंगल कलश व धूप घट स्थापना की जाएगी। जिनेन्द्र भगवान व सिद्धचक्र यंत्र का अभिषेक एवं विश्व शांति के लिए शांतिधारा की जाएगी।
प्रतिष्ठाचार्य पगारिया ने बताया कि 30 अक्टूबर से 4 नवम्बर तक प्रतिदिन आदिनाथ भगवान व सिद्धचक्र यंत्र का महाभिषेक, शांतिधारा, नित्य महापूजन और शांति जाप्य होंगे।
अंतिम दिन 5 नवम्बर को सर्वशांति महायज्ञ के तहत तीर्थंकर, कैवली तथा गणधर हवन कुंड में जैन आगम में वर्णित विविध मंत्रोच्चारण के साथ इंद्र-इंद्राणी समूह द्वारा दंशाग, धूप, घी की आहुति व श्रीफल की पूर्णाहुति दी जाएगी। मुख्य पुण्यार्जक सौधर्म इंद्र सौमागमल कटारिया परिवार, राजा श्रीपाल राजेश शाह, धनपति कुबेर ऋषभ जैन, महायज्ञनायक विपिन पंचोरी (साबला) समेत 300 इंद्र-इंद्राणियों के जोड़ों द्वारा सिद्धचक्र विधान पूजा की जाएगी। विधान मंडल पर 2500 से अधिक अष्टद्रव्य श्रीफल युक्त अर्घ समर्पित किए जाएंगे। विधान के पूर्व दिन मंगलवार की धर्मसभा में आचार्य सुनील सागर महाराज ने कहा — “हम चेहरे को चमकाते हैं जिस पर सबकी नजर रहती है, पर आत्मा को नहीं चमकाते जिस पर हमारी नजर रहती है। चित्र नहीं, चरित्र पूजनीय है। सिद्धचक्र विधान का उद्देश्य है कि हम भी सिद्ध बनें और सिद्ध प्रभु के गुणों की प्राप्ति करें।”विधान में वागड़-मेवाड़ के अनेक श्रद्धालु भाग लेंगे।

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