24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के दृश्य कला संकाय में नवनिर्मित महाराणा कुंभा कला भवन का उद्घाटन गुरुवार को राजस्थान के राज्यपाल हरिभाउ बागड़े के कर कमलों से होने वाला है। लेकिन इस नए बनाए गए भवन में भी फायर सेफ्टी सिस्टम नहीं लगाया गया है। जबकि यह किसी भी बिल्डिंग की अनिवार्य शर्त है। फायर सेफ्टी उपकरण नहीं होना वहां पढ़ने आने वाले बच्चों की सुरक्षा से खुलेआम खिलवाड़ है। आपको बता दें कि नगर निगम दो बार अंतिम नोटिस देकर पूरे सुखाड़िया विश्वविद्यालय परिसर में फायर सेफ्टी सिस्टम नहीं लगाने पर बिल्डिंग ही सीज करने की चेतावनी दे चुका है। यह तो निगम के अधिकारियों से सुविवि प्रशासन की खुलेआम मिलीभगत का कमाल है कि बिल्डिंग सीज की कार्रवाई अब तक नहीं की गई जबकि खुद निगम निजी बिल्डिंगों के मामलों में भी फायर सेफ्टी नहीं होने पर तत्काल बिल्डिंग सीज कर उसके समाचार जारी करवा देती है।
बहरहाल, इस भवन और परिसर से संबंधित पूरे आर्ट्स कॉलेज व पूरे विश्वविद्यालय में फायर सेफ्टी सिस्टम का कोई नामो निशान नहीं है। नए कला भवन में छह क्लासरूम और एक बड़ा हॉल है, जहां भविष्य में बड़ी संख्या में छात्र एकत्रित होंगे, लेकिन ऐसे किसी भी सार्वजनिक उपयोग की इमारत में फायर सेफ्टी की पूर्ण अनुपस्थिति चिंता का विषय बन गई है। कम से कम राज्यपाल महोदय से उद्घाटन से पूर्व फायर सेफ्टी का तो खयाल रखा ही जाना चाहिए था।
आपको बता दें कि इसके अलावा यह नया परिसर जिस आर्ट्स कॉलेज का हिस्सा है वहां पर जगह-जगह प्लास्टर गिरने की घटनाएं हो रही है। कॉलेज में 10 से 12 जगह प्लास्टर गिर चुका है, लेकिन उसकी मरम्मत नहीं कराई गई है। कुछ दिन पहले तो दो कक्षाओं का प्लास्तर भरभरा कर नीचे आ गिरा जिसके बाद आनन फानन में उन पर ताले लगा दिए गए। मगर मरम्मत आज तक नहीं करवाई गई है। यदि कक्षा कक्ष चल रहे होते तो यहां भी झालवाड़ जैसी घटना होने का अंदेशा था।
इसके अलावा आर्ट्स कॉलेज के पत्रकारिता विभाग, राजनीति विज्ञान स्मार्ट क्लासरूम, मनोविज्ञान और हिंदी विभागों में भी प्लास्टर गिरने और पानी टपकने की घटनाएं सामने आई हैं। वॉटर कूलर के ऊपर भी छत का प्लास्टर गिर चुका है। आपको बता दें कि आर्ट्स कॉलेज उदयपुर के कला संकाय का सबसे बड़ा कॉलेज है। ऐसे में यहां प्रतिदिन कम से कम 1 हजार से अधिक स्टूडेंट की उपस्थिति एक ही समय पर रहती है। ऐसे में सुरक्षा उपायों को दरकिनार करने पर कई बड़े सवाल उठ रहे हैं। बडा सवाल यह उठ रहा है कि जब पुराने भवनों में फायर सेफ्टी उपकरण नहीं होने का नगर निगम का नोटिस आ रहा है तो नए बनाए गए भवन में इसका ध्यान क्यों नहीं रखा गया? क्या प्रशासनिक स्तर पर फायर सेफ्टी को मजाक के तौर पर लिया जा रहा है या फिर विश्वविद्यालय के सभी आला अफसर यह मानकर चल रहे हैं कि हर बार निगम के अफसरों को मैनेज कर लेंगे और बिल्डिंग सीज होने की नौबत ही नहीं आने देंगे।
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