Site icon 24 News Update

23 दिन बाद मिला आयड़ में बहे युवक का शव, : उदयपुर प्रशासन की घोर लापरवाही और संवेदनहीनता पर सवाल

Advertisements

24 News Update उदयपुर। आयड़ नदी में बहा युवक रवि 23 दिन बाद घटनास्थल से आठ किलोमीटर दूर, पुलिया के नीचे मिला। शव मिलने के बाद से सवाल उठ रहे हैं कि एक छोटी सी नदी में उदयपुर जिला प्रशासन को शव ढूंढने में इतने ज्यादा दिन क्यों लग गए? प्रशासन ने आखिर क्यों शव ढूंढने का अभिशन बीच में रूकवा दिया। यह किसके कहने पर किया गया यह जांच का विषय है। जिला प्रशासन की घोर लापरवाही, डिजास्टर प्लानिंग की कमी और संवेदनहीनता का यह बड़ा उदाहरण है जो आज चर्चा का विषय बन गया है।
6 सितंबर को तेज बारिश के दौरान रवि और एक अन्य युवक नदी में बह गए। दूसरा युवक सुरक्षित बाहर निकाला गया, लेकिन रवि का कोई पता नहीं चला। इसके बाद प्रशासन ने सर्च ऑपरेशन कुछ दिन चलाया मगर सफलता हाथ नहीं लगी। उसके बाद सर्च अभियान को विराम दे दिया गया। युवक के परिवार जनों को इसके पर खुद प्रशासन के पास गुहार लगानी पड़ी, और सिविल डिफेंस टीम ने अन्य लोगों के सहयोग से सोमवार को नया अभियान शुरू किया।
सिविल डिफेंस टीम ने घटनास्थल से 8 किलोमीटर दूर कानपुर खेड़ा तक खोजबीन की और रवि का शव एक पुलिया के नीचे पाया। यह सवाल उठता है कि अगर रवि किसी नेता या अफसर का बेटा होता, तो क्या प्रशासन इतनी देर करता? क्या सर्च ऑपरेशन को विराम दे दिया जाता? नदी का विस्तार इतना भी नहीं कि खोज लगातार नहीं रखी जा सकती थी।
विशेषज्ञ और परिजन पूछ रहे हैं कि 23 दिनों तक प्रशासन ने क्यों इंतजार किया? तेज बहाव में जब युवक बहा उसके बाद आयड़ नदी में इतना पानी फिर कभी नहीं आया। ऐसे में खोज को रोज जारी रखना संभव था। बात सफलता मिलने की नहीं, बल्कि जज्बे की हो रही है। क्या प्रशासन को संवेदनशीलता दिखाते हुए सिविल डिफेंस जैसी टीम को लगातार तैनात नहीं किया जा सकता था? क्या कुछ हजार रुपये और मानवीय प्रयासों के अभाव में मानव जीवन को इतनी लंबी देरी में भुला दिया गया? जबकि इसी नदी पर नेताओं व अफसरों के महाभ्रष्ट गठजोड़ के चलते 75 करोड़ रूपया पानी में बहा दिया गया है।
सिविल डिफेंस की टीम ने जिस लगन और साहस से रवि का शव खोजा, वह प्रशंसनीय है। लेकिन सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन इस संवेदनशील मुद्दे में गंभीर और जिम्मेदार रवैया अपना सकेगा? 23 दिनों में उदयपुर में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और कई बड़े नेता आए और चले गए, लेकिन किसी ने इस संवेदनशील मामले पर कोई बयान नहीं दिया।
रवि के साथ पानी में गए युवक ने 7 घंटे जिंदगी की जंग लड़ी। उस दिन भी सवाल उठे कि अगर नेता या अफसर होता तो क्या इतने घंटे लग जाते सेना को बुलाने में?? साफ दिख रहा है कि तैयारी अधूरी थी, उसके बाद भी संवेदहीनता प्रशासन की भरपूर थी। आखिरकार 23 दिन बाद शव का पता चलने पर उस युवक के परिजनों पर क्या बीती होगी, यह दर्द वे ही समझ सकते हैं। इस बीच में जो उन्होंने पीड़ा झेली उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। इस पीड़ा के लिए क्या प्रशासन जिम्मेदार नहीं है??
उदयपुर प्रशासन के लिए यह घटना चेतावनी हैः सभी सर्च ऑपरेशन, आपदा प्रबंधन और मानव जीवन से जुड़े मामलों में समय और जिम्मेदारी पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए।

Exit mobile version