- हिरणमगरी सेक्टर 11 में बह रही है धर्म ज्ञान की गंगा
24 News Update उदयपुर। जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज ने श्री शांतिनाथ जैन संघ -हिरणमगरी सेक्टर नं. 11. में आयोजित धर्मसभा को प्रवचन देते हुए कहा कि बोलने के लिए जीभ मात्र मनुष्य को ही प्राप्त हुई है। पशुओं के पास भी जीभ है परंतु उसका मात्र एक कार्य है ‘खाना’। जबकि मनुष्य को प्राप्त हुई जीभ के दो कार्य है खाना और बोलना।
मनुष्य के शरीर की अपेक्षा पशुओं के शरीर में बहुत-सी विशेषतार है -हाथी का शरीर खूब बडा है। 5-7 मनुष्य हाथी पर बैठ जाय, तो भी वह मस्ती से चल सकता है। घोडा खूब तेजी से दौड सकता है। बैल और गधा वजन उठा सकते है। इन सभी अपेक्षा से मनुष्य से पशुओं के शरीर में कुछ विशेषताएँ है, परंतु, कुदरत की ओर से पशुओं को जबान तो दी गई है परंतु अपने भावों को स्पष्ट शब्दों में वाणी उच्चारण करने के लिए उन्हें वाणी नहीं दी है।
मनुष्य को मिली बोलने की शक्ति मनुष्य के लिए कुदरत की सबसे बडी भेट है। परंतु इसका सदुपयोग और दुरुपयोग स्वयं मनुष्य पर निर्भर है। वाणी का सर्वश्रेष्ठ सदुपयोग है जगत् के जीवों को सच्चे सुख का मार्ग बताना।
प्यासे को पानी पिलाने से उपकार होता है, भूखे की भोजन देने से भी उपकार होता है, वस्त्र रहित को वस्त्र देने से भी उपकार होता है, तो मकान रहित को मकान देने से भी उपकार होता है परंतु, ये सारे उपकार अल्पकालीन और अस्थायी है। एक बार पानी, भोजन, वस्त्र और मकान प्राप्त होने के बाद पुनः ये वस्तुओं का वियोग नहीं होगा, ऐसा नहीं है। अतः ये सारी वस्तुओं देने से भी जिस स्थान पर इन सभी की जरूरत ही ना पड़े ऐसा सच्चे सुख का मार्ग बताना सबसे बडा उपकार है।
यह सबसे बडा उपकार इस पुरे जगत् पर अरिहंत परमात्मा करते हैं। वे जगत् के सभी जीवों को मोक्ष का मार्ग बताते हैं। उनके मार्ग पर चलने वाले सद्गुरु भगवंत भी उनके प्रतिनिधि के रूप में धर्म का मार्ग बताते है। अतः इस दुनिया में परमात्मा और सद्गुरु से बड़ा उपकारी कोई नहीं है।
कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि श्री शांतिनाथ पार्श्वनाथ मुर्ति पूजक संघ सुरेंद्रकुमार जैन , अशोकजी जैन , रणजीत सिंह मेहता , अभिषेक दावडा , आयुष हढपावत समस्त कार्यकारिणी सदस्य आदि भी उपस्थित रहे ।
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