24 News Update सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। नगर के मसानिया तालाब के सामने मुस्लिम समाज मस्जिद के पास स्थित भीकम शाह वली के तीन दिवसीय उर्स के अंतिम दिन बुधवार रात को आयोजित महफ़िल-ए-क़व्वाली के दौरान रात को सुनने वाले लोग उमड़े तथा क़व्वाली भौर तक चली। क़व्वाली के दौरान चढ़ता सूरज धीरे-धीरे थम जाएगा, मौत तुझको आनी है ने ख़ूब वाह-वाह लुटी।
तीन दिवसीय उर्स के तहत महफ़िल-ए-शमा इंटरनेशनल क़व्वाल शब्बीर सदाकत साबरी और उनके सहयोगियों ने एक से बढ़कर एक कलाम पेश किया और लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। बच्चों से लेकर युवाओं ने अपनी-अपनी फरमाइशों पर कलाम पढ़वाए। हिंदुस्तान के मशहूर क़व्वाल अजीज़ नाज़ां का कलाम चढ़ता सूरज धीरे-धीरे थम जाएगा, मौत तुझको आनी है, खाली हाथ आया है खाली हाथ जाएगा और चले चलें अजमेर चलें ख्वाजा के मेले में, चौका लगा दे तुमरे बीना कोई नहीं मेरे ख्वाजा, मोहम्मद मुस्तफ़ा का नाम आता है जहाँ दिल में काबा नज़र आता है, जहाँ कोई काम ना आए वहाँ यह नाम, हम हैं ग़ुलाम-ए-नबी नबी नबी — भीकम शाह वली पर भी एक से बढ़कर एक क़व्वालियाँ गाते हुए सभी वलियों को याद किया।
दूसरी क़व्वाली की टीम मोडासा गुजरात से आई, जिन्होंने भी क़व्वाली पेश की। क़ौमी एकता की मिसाल सागवाड़ा में देखने मिली, जिसमें सर्व समाज के अलावा डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, गुजरात, मध्यप्रदेश के लोग उपस्थित थे।
क़व्वाली में सुनने वाले उमड़ें, भौर तक चला क़व्वाल का दौर

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