24 News Update उदयपुर। शिक्षा विभाग में सेवारत शिक्षकों द्वारा बीएड पाठ्यक्रम की इंटर्नशिप अवधि को कर्तव्य (ड्यूटी) नहीं मानने और इस अवधि का वेतन आहरित नहीं करने संबंधी प्रारंभिक शिक्षा निदेशक के आदेश से प्रदेशभर के शिक्षकों में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया है। इस निर्णय को अन्यायपूर्ण बताते हुए राजस्थान पंचायती राज एवं माध्यमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेजकर इस आदेश को वापस लेने और शिक्षकों को राहत प्रदान करने की मांग की है।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष शेर सिंह चौहान ने कहा कि यह आदेश शिक्षकों की मेहनत और उच्च शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा का अपमान है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बीएड जैसे उच्च शिक्षण पाठ्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता और कौशल में वृद्धि करना है, ताकि वे विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा दे सकें। ऐसे में इंटर्नशिप अवधि को सेवा का हिस्सा न मानना और वेतन रोकना अनुचित है।
संघ के प्रदेश महामंत्री गोपाल मीणा ने बताया कि निदेशक प्रारंभिक शिक्षा बीकानेर ने शासन उप सचिव (स्कूल शिक्षा) के आदेश का हवाला देते हुए राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि सेवारत शिक्षकों की इंटर्नशिप अवधि का वेतन जारी न किया जाए। उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल शिक्षकों के अधिकारों का हनन है बल्कि पहले से लागू प्रथा का भी उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि अब तक बीएड पत्राचार पाठ्यक्रम के तहत इंटर्नशिप अवधि के दौरान शिक्षक अपने पदस्थापित विद्यालयों या निकटवर्ती राजकीय विद्यालयों में संपूर्ण शैक्षणिक जिम्मेदारियां निभाते आए हैं। विभाग ने इस अवधि को हमेशा ड्यूटी माना और वेतन का भुगतान किया। नए आदेश से शिक्षकों में असंतोष और असुरक्षा की भावना बढ़ी है।
संगठन ने शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेजकर इस आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द करने, वेतन भुगतान की पूर्व व्यवस्था बहाल करने और शिक्षकों के हित में स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करने की मांग की है।
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