24 News Update उदयपुर। राजकीय आदर्श आयुर्वेद औषधालय, सिन्धी बाजार, उदयपुर में रविवार को स्वर्ण प्राशन संस्कार शिविर का आयोजन होगा। वर्ष 2014 से अब तक लगातार प्रत्येक रविवार आयोजित हो रहे इस निःशुल्क शिविर से अब तक 4 लाख से अधिक बच्चों को लाभ मिल चुका है। शिविर का संचालन वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्साधिकारी वैद्य शोभालाल औदीच्य के निर्देशन में किया जा रहा है।
आयुर्वेद शास्त्र में स्वर्ण प्राशन संस्कार को बालकों के स्वास्थ्य और मानसिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया गया है। इसमें शुद्ध स्वर्ण भस्म, गाय का घृत और शहद का विशेष अनुपात में मिश्रण कर बच्चों को पिलाया जाता है। औदीच्य ने बताया कि यह औषधि बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) को बढ़ाती है, बुद्धि और स्मरण शक्ति को प्रखर बनाती है तथा दीर्घकालीन स्वास्थ्य की नींव रखती है।
पिछले 11 वर्षों से चल रहे इस अभियान का लाभ प्रत्यक्ष रूप से देखा गया है। जिन बच्चों को स्वर्ण प्राशन संस्कार नियमित दिलाया गया, उनमें –
रोगों से लड़ने की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि
बार-बार होने वाले सर्दी-जुकाम और मौसमी बीमारियों से बचाव
मानसिक विकास, एकाग्रता और स्मरण शक्ति में सुधार
शारीरिक विकास व ऊर्जा में वृद्धि
जैसे प्रभाव स्पष्ट रूप से सामने आए हैं। कई अभिभावकों ने अनुभव साझा किया है कि उनके बच्चों की पढ़ाई में मन लगने लगा है और बीमारियाँ भी काफी कम हो गई हैं। आयुर्वेदिक दृष्टि से स्वर्ण को “रस रत्न” कहा गया है। यह शरीर को पुष्ट करने, नसों को मजबूत करने और मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाने में सहायक माना जाता है। यही कारण है कि स्वर्ण प्राशन संस्कार बालकों के लिए सर्वोत्तम आयुर्वेदिक परंपरा मानी जाती है।
2014 से निरंतर चले आ रहे इस शिविर ने समाज में आयुर्वेद के प्रति गहरा विश्वास पैदा किया है। हर रविवार बड़ी संख्या में अभिभावक अपने बच्चों को लेकर औषधालय पहुँचते हैं। अब तक के अनुभवों ने इसे एक सामाजिक चेतना अभियान का रूप दे दिया है। आने वाले समय में औषधालय की टीम इस अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए विद्यालयों व ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष शिविर आयोजित करने, डिजिटल माध्यम से जागरूकता फैलाने और शोध कार्यों के माध्यम से परिणामों को प्रमाणित रूप से प्रस्तुत करने की योजना बना रही है। वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्साधिकारी वैद्य शोभालाल औदीच्य ने कहा कि – “स्वर्ण प्राशन संस्कार केवल औषधि का सेवन नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ और बुद्धिमान बनाने का एक प्रयास है। हमारा उद्देश्य है कि अधिक से अधिक बच्चे इस संस्कार से लाभान्वित हों।”

