हेल्थ कैंप में इलाज से पहले मांगी घर में बिजली, आज़ादी के इतने साल बाद भी बिजली से वंचित थे बुजुर्ग
- फाउंडेशन ने न केवल बिजली कनेक्शन दिलवाया, बल्कि कच्चे घर को भी पक्का बनवाया**
24 News update उदयपुर। नाम — वरदा मेघवाल, उम्र — 85 साल, निवास — शहर से महज 10 किलोमीटर दूर बेड़वास गांव। लेकिन आज़ादी के इतने दशकों बाद भी ये बुजुर्ग अब तक बिजली जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित थे।
बेड़वास में राहड़ा फाउंडेशन द्वारा आयोजित हेल्थ कैंप में वरदा बाउजी जब इलाज कराने पहुंचे, तो स्वास्थ्य से पहले बिजली की ज़रूरत बताई। उन्होंने कहा, “अब आंखें भी कम दिखने लगी हैं, बिजली की बहुत ज़रूरत है।”
बुजुर्ग की ये व्यथा फाउंडेशन की संस्थापक अर्चना सिंह चारण के दिल तक पहुँची। वे उसी दिन टीम के साथ बुजुर्ग के घर पहुंचीं। वहां देखा कि वरदा बाउजी का कच्चा घर जर्जर अवस्था में है, बिजली नहीं है और कोई सहारा भी नहीं।
तीन महीने की अथक मेहनत के बाद राहड़ा फाउंडेशन ने न केवल उनके घर में बिजली का कनेक्शन करवाया, बल्कि कच्चे घर को पक्के में तब्दील करवा कर वरदा जी को एक गरिमामय जीवन और खोया हुआ सम्मान लौटा दिया।
जब बिजली की मांग ने सभी को चौंका दिया
अर्चना सिंह चारण ने बताया कि हेल्थ कैंप के दौरान 85 वर्षीय वरदा बाउजी ने कहा — “मुझे इलाज नहीं, पहले घर में बिजली चाहिए।” डाक्टर और टीम इस मांग पर हैरान रह गए। जब वरदा जी ने सहजता से अर्चना सिंह से कहा — “क्या आप मेरे घर में बिजली दिलवा सकती हैं?” तो उनकी आंखों में बरसों की उपेक्षा और असहायता झलक रही थी।
अर्चना जी ने उन्हें भरोसा दिलाया कि अब उनका घर भी रोशन होगा। कैंप समाप्ति के बाद अर्चना टीम के साथ वरदा जी को स्कूटर पर बैठाकर उनके घर पहुंचीं। वहां घर की हालत देख निर्णय लिया गया कि पक्का घर, बिजली, पानी और शौचालय की सुविधा एक सम्मानजनक रूप में दी जाएगी।
सरकारी प्रक्रिया में अड़चनें, लेकिन हिम्मत नहीं हारी
दूसरे ही दिन दस्तावेज़ जुटाकर बिजली कनेक्शन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। सरकारी दफ्तरों की पेचीदगियों और अड़चनों के बावजूद अर्चना लगातार फॉलोअप लेती रहीं। आखिरकार वरदा जी का घर बिजली से रोशन हुआ।
साथ ही, फाउंडेशन ने वित्तीय व्यवस्था कर घर को पक्के में तब्दील किया। अब वरदा बाउजी के पास उनका पहला सम्मानजनक आशियाना है, जिसमें बिजली, शौचालय और गरिमा से जीने की सुविधा मौजूद है।
एक नई रोशनी, एक नई ज़िंदगी
आज, राहड़ा फाउंडेशन के अथक प्रयासों से वरदा मेघवाल एक सुंदर पक्के घर में चैन की नींद ले रहे हैं। उनका कहना है —
“मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि ज़िंदगी के इस पड़ाव पर मेरे लिए भी ऐसा घर होगा, जिसमें सुकून से सो सकूं।”
सम्मान लौटाने की मिसाल बनी यह पहल
वरदा बाउजी को घर और बिजली दिलवाने का यह प्रयास सिर्फ़ एक निर्माण कार्य नहीं, बल्कि एक टूटे मन की मरम्मत, उपेक्षित आत्मा को सम्मान और जीने की उम्मीद लौटाने की कहानी है।
अर्चना सिंह चारण ने कहा —
“जब संवेदना, समर्पण और सकारात्मक सोच साथ होते हैं, तो कोई भी बदलाव असंभव नहीं। वरदा जी की मुस्कान, राहड़ा फाउंडेशन की सबसे बड़ी जीत है। उनका नया घर उस सशक्त भारत का प्रतीक है, जो हर जीवन को गरिमा और सम्मान देने में विश्वास रखता है।”
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