24 News Update जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को सब इंस्पेक्टर (SI) भर्ती-2021 पेपर लीक मामले में बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने RPSC के पूर्व सदस्य रामूराम राईका समेत 23 आरोपियों को जमानत दे दी, जबकि 30 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। जमानत पाने वालों में ट्रेनी SI, डमी कैंडिडेट्स, हैंडलर और पेपर खरीदने वाले शामिल हैं।
इससे पहले 28 अगस्त को हाईकोर्ट ने इस भर्ती को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने आदेश दिया कि 859 पदों वाली इस भर्ती के पद अब 2025 की नई भर्ती में जोड़े जाएं और सभी अभ्यर्थियों को पुनः शामिल किया जाए।
रामूराम राईका समेत कई बड़े नामों पर गंभीर आरोप
1 सितंबर 2024 को SOG ने रामूराम राईका को गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने निलंबित RPSC सदस्य बाबूलाल कटारा से अपने बेटे और बेटी के लिए पेपर लिया। शोभा राईका और देवेश राईका को तीन महीने पहले सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है।
रामूराम राईका को 2018 में तत्कालीन बीजेपी सरकार के दौरान RPSC सदस्य बनाया गया था और वे 2022 तक पद पर रहे।
कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया की गंभीर खामियां गिनाईं
28 अगस्त को जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने भर्ती को रद्द करते हुए 202 पन्नों का आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया कि—
भर्ती का पेपर प्रिंटिंग प्रेस में पहुंचने से पहले ही लीक हो गया।
RPSC के तत्कालीन चेयरमैन संजय श्रोत्रिय समेत 6 सदस्यों की भूमिका संदिग्ध रही।
बाबूलाल कटारा को इंटरव्यू पैनल में शामिल करना गंभीर अपराध है।
यह “सिस्टमेटिक करप्शन” का मामला है, जिसमें RPSC के कई सदस्य लिप्त पाए गए।
जमानत पाने वाले प्रमुख आरोपी
कोर्ट ने जिन आरोपियों को जमानत दी उनमें ट्रेनी SI संतोष, इंदूबाला, विमला, मोनिका, मनीषा सिहाग, वर्षा, डमी इंद्रा, छम्मी बाई, हैंडलर सुनील कुमार बनीवाल, लोकेश शर्मा, अरुण शर्मा, कमलेश ढाका शामिल हैं।
इसके अलावा ब्लूटूथ से नकल कराने वाले जयराज सिंह, फोटोकॉपी मशीन संचालक महेंद्र कुमार, राजेंद्र कुमार यादव, श्यामप्रताप सिंह, शैतानाराम, अरुण कुमार प्रजापत, दीपक राहड़, बुद्धिसागर उपाध्याय और चंचल के पिता श्रवणराम को भी राहत मिली है।
SOG की जांच से उजागर हुआ नेटवर्क
SI भर्ती-2021 पेपर लीक मामले में SOG की जांच के दौरान आरपीएससी के अंदरूनी नेटवर्क से जुड़े कई नाम सामने आए थे।
पेपर लीक में ब्लूटूथ गैंग, डमी कैंडिडेट्स और RPSC अधिकारियों की संलिप्तता साबित हुई। भर्ती की गोपनीयता भंग होने के कारण हाईकोर्ट ने इसे “अत्यधिक संदिग्ध” मानते हुए रद्द करने का आदेश दिया।
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