24 न्यूज अपडेट उदयपुर। मेवाड़ राजघराने के वरिष्ठ सदस्य अरविंदसिंह मेवाड़ का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान और पारंपरिक शाही रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ। उनके अंतिम संस्कार में हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े और गाजे-बाजे के साथ उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई। मेवाड़ की अंतिम यात्रा सिटी पैलेस के शंभू निवास से प्रारंभ हुई। इस दौरान राजसी बैंड बाजे की धुनों के बीच पारंपरिक शाही रथ में पार्थिव देह को महासतिया ले जाया गया। अंतिम यात्रा बड़ी पोल, जगदीश चौक, घंटाघर, बड़ा बाजार और देहली गेट से होकर गुजरी, जहां हजारों लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। मेवाड़ की इस महान विभूति को अंतिम प्रणाम करने के लिए शाही परिवार, गणमान्य नागरिक, राजनेता और हजारों श्रद्धालु उमड़े। परिजनों और करीबियों की आंखें नम थीं। बेटे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने अपने पिता को कांपते हाथों से मुखाग्नि दी, तो वहां मौजूद हर आंखें छलक उठीं।
अरविंद सिंह मेवाड़ का महासतिया में अंतिम संस्कार
महासतिया में बेटे लक्ष्यराज सिंह ने पिता अरविंद सिंह मेवाड़ को मुखाग्नि दी। इस दौरान नाथद्वारा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़, शिव (बाड़मेर) विधायक रविंद्र सिंह भाटी और वल्लभनगर के पूर्व विधायक रणधीर सिंह भिंडर भी उपस्थित रहे। गाजे-बाजे के साथ अंतिम यात्रा महासतिया की ओर बढ़ती गई, जिसमें देहली गेट चौराहे पर स्थानीय लोग और व्यापारी कतार में खड़े होकर अंतिम दर्शन कर रहे थे। यात्रा लगभग एक किलोमीटर लंबी थी, जिसमें राजपरिवार के सदस्यों के अलावा बड़ी संख्या में अन्य लोग भी शामिल हुए।
महासतियाः मेवाड़ राजपरिवार का पारंपरिक अंत्येष्टि स्थल
महासतिया, जो उदयपुर शहर के आयड़ क्षेत्र में गंगू कुंड के पास स्थित है, मेवाड़ राजपरिवार के सदस्यों का पारंपरिक अंत्येष्टि स्थल है। यहां सबसे पहले वर्ष 1615 में महाराणा अमरसिंह प्रथम का अंतिम संस्कार किया गया था, तब से यह राजपरिवार की अंत्येष्टि परंपरा का स्थल बना हुआ है। इस ऐतिहासिक स्थल पर सैकड़ों छतरियां बनी हुई हैं, जो मेवाड़ की विरासत को दर्शाती हैं। यही कारण है कि शाही परिवार के सभी पूर्व महाराणाओं और राजघराने के सदस्यों का अंतिम संस्कार यहीं किया जाता है।
उदयपुर के सिटी पैलेस में श्रद्धांजलि देने वालों की लंबी लाइन
मेवाड़ के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए शहरभर से लोग सिटी पैलेस स्थित शंभू निवास पहुंचे। संख्या अधिक होने के कारण लंबी कतारें लग गईं। एक-एक कर श्रद्धालु पार्थिव देह पर पुष्प अर्पित कर अंतिम श्रद्धांजलि देते नजर आए। सुबह 7 से 11 बजे तक उनके अंतिम दर्शन को लोग पहुंचे व उसके बाद अंतिम यात्रा शुरू हुई।

