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गहलोत से मिली एस.एफ.एस. कर्मचारी, बोलीं-वीसी मिश्रा ने किया प्रताड़ित, अब तक नहीं मिला न्याय

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24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। सुखाड़िया विश्वविद्यालय में एसएफएबी कर्मचारियों की पीड़ा अंतहीन हो चुकी है। कर्मचारियों की कोई सुनने वाला नहीं है। कुलगुरू गद्दी छोड़ो आंदोलन के दौरान एक बार फिर से एसएफएबी कर्मचारियों से दुर्व्यवहार का मुद्दा गरमाया हुआ है। राज्यपाल से लेकर मंत्रियों को ज्ञापन देने पर भी कुछ नहीं हुआ। विधायक भी ज्ञापन लेकर खामोश हो गए। अब जाएं तो कहां जाएं। पुलिस में परिवाद करवाया लेकिन लंबा अरसा बीतने पर भी एक भी बार पुलिस की ओर से पक्ष तक जानने के लिए फोन नहीं किया गया। अब जबकि वीसी के खिलाफ जांच कमेटी बैठी है तो उम्मीद बंधी है। लेकिन जांच कमेटी क्या कर रही है इसके अते-पते नहीं है। वह कहां सुनवाई कर रही है, किससे परिवाद ले रही है। या फिर उपर के स्तर पर ही सेटिंग होकर नेताओं और अफसरों की मिलीभगत से कोई और ही पटकथा लिखी जा रही है।
आज मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के संविदा/एस.एफ.एस. कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि मंडल ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सर्किट हाउस में मुलाकात कर पांच सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा। इस दौरान दो कर्मचारियों श्रीमती किरण तंवर और बेबी गमेती ने कुलगुरू प्रो. सुनीता मिश्रा द्वारा किए गए कथित अत्याचारों और अमानवीय व्यवहार की अपनी व्यथा साझा की। कर्मचारियों ने बताया कि जांच कमेटी सार्वजनिक सुनवाई नहीं कर रही है और सभी ज्ञापन व समस्याओं को तुरंत नहीं ले रही। राज्यपाल, दोनों डिप्टी सीएम से लेकर सभी विधायकों व मंत्रियों को इस मामले में गुहार लगाई जा चुकी है, जबकि प्रतापनगर थाने में परिवाद भी दर्ज है। कर्मचारियों ने सवाल उठाया कि उन्हें आखिर कब न्याय मिलेगा।

गहलोत ने सुनी शिकायतें, दिया आश्वासन

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आठ से दस मिनट तक दोनों कर्मचारियों की बातें सुनी। उन्होंने ज्ञापन प्राप्त किया और एस.एफ.ए.बी. कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष नारायण सालवी को पगड़ी और उपरना पहनाकर स्वागत किया। गहलोत ने कर्मचारियों को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया और कहा कि सम्मान संगठन का होना चाहिए, जो पिछले दो साल से कुलगुरू के अमानवीय कार्यों के खिलाफ संघर्ष कर रहा है।

कर्मचारियों की पीड़ा

श्रीमती बेबी गमेती ने बताया कि कुलपति के बंगले पर काम करने के दौरान उनके साथ मारपीट और गाली-गलौच की गई। किरण तंवर ने कहा कि 17 साल से सेंटरल लाइब्रेरी में कार्यरत होने के बावजूद उन्हें निजी कामों के लिए बुलाकर अपमानित किया गया और जनवरी से सितंबर तक उनका वेतन नहीं दिया गया। इसके अलावा, ज्वाइनिंग नहीं करने दी जा रही है। प्रोफेसर मीरा माथुर की ओर से रजिस्टर में साइन नहीं करने दिया जा रहा है।

संगठन की भूमिका

अध्यक्ष नारायण लाल सालवी ने बताया कि संगठन लगातार न्याय की मांग कर रहा है, लेकिन अभी तक किसी समाधान की दिशा में कदम नहीं उठाया गया। कर्मचारियों के पास केवल 30 सितंबर 2025 तक का कार्यादेश है, जिसके बाद उनकी सेवाओं को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।

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