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विद्यापीठ में ‘साइ-वाइब’ कार्यशाला आयोजित, विज्ञान को बताया समाज व तकनीक के विकास की आधारशिला

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24 News Update उदयपुर। राजस्थान विद्यापीठ के संघटक महाविद्यालय के विज्ञान संकाय की ओर से ‘साइ-वाइब’ (विज्ञान, विजन, कौशल एवं नवाचार) विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन महाविद्यालय के सभागार में किया गया।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने कहा कि विज्ञान केवल एक विषय नहीं, बल्कि समाज एवं तकनीक के सर्वांगीण विकास की आधारशिला है। उन्होंने थॉमस एडिसन और आइजैक न्यूटन के उदाहरण देते हुए विद्यार्थियों से असफलताओं को अनुभव का आधार मानकर निरंतर जिज्ञासु बने रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का आधार शोध (रिसर्च) है और इसके लिए युवाओं को नवाचार व वैज्ञानिक सोच को अपनाना होगा।

प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए निदेशक डॉ. सपना श्रीमाली ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना, करियर को लेकर स्पष्टता प्रदान करना तथा नवाचार को प्रोत्साहित करना रहा। उन्होंने बताया कि कार्यशाला को तीन प्रमुख शैक्षणिक सत्रों में आयोजित किया गया।
कार्यशाला के प्रथम सत्र में बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा “बायोटेक्नोलॉजी: करियर संभावनाएं एवं अवसर” विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में उका तरसड़िया यूनिवर्सिटी, बारडोली (गुजरात) के डॉ. गोपाल जी. गोपाल ने विद्यार्थियों को बायोटेक्नोलॉजी के उभरते क्षेत्रों, अनुसंधान, उद्योग, स्वास्थ्य एवं स्टार्टअप्स में उपलब्ध करियर अवसरों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने उच्च शिक्षा, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय फैलोशिप, प्रतियोगी परीक्षाओं तथा शोध आधारित करियर मार्गों पर भी प्रकाश डाला।

द्वितीय सत्र में भौतिकी विभाग द्वारा स्किल ट्रेनिंग कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें विद्यार्थियों को दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले वैज्ञानिक उपकरणों, उनके कार्य सिद्धांतों तथा भविष्य में तकनीकी एवं औद्योगिक क्षेत्रों में उनके अनुप्रयोगों की जानकारी दी गई।
तृतीय शैक्षणिक सत्र के रूप में “नेक्स्ट जेन साइंस” विषय पर अंतर-विद्यालय पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसमें विद्यार्थियों ने भविष्य की तकनीक, सतत विकास, स्वास्थ्य नवाचार एवं उभरते वैज्ञानिक विषयों पर रचनात्मक प्रस्तुतियां दीं, जिससे उनकी वैज्ञानिक सोच एवं प्रस्तुति कौशल का प्रभावी प्रदर्शन हुआ।
कार्यशाला में प्रो. मलय पानेरी, डॉ. धर्मेंद्र राजौरा, डॉ. योगिता श्रीमाली, डॉ. खुशबू जैन, डॉ. सिद्धमा शर्मा एवं डॉ. मंगल श्री दुलावत ने सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सिद्धमा शर्मा ने किया तथा आभार डॉ. मंगल श्री दुलावत ने व्यक्त किया।
कार्यशाला में पीएम श्री फतेह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, शिशु भारती उच्च माध्यमिक विद्यालय, महात्मा गांधी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय धानमंडी, श्रीमन नारायण उच्च माध्यमिक विद्यालय डबोक सहित विभिन्न विद्यालयों के 250 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया।

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