24 न्यूज अपडेट नेशनल डेस्क। इजराइल और ईरान के बीच जारी सैन्य संघर्ष के बीच भारत ने अपने नागरिकों को ईरान से निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि कुछ भारतीय नागरिकों को आर्मेनिया बॉर्डर के रास्ते सुरक्षित बाहर निकाला गया है। वहीं, राजधानी तेहरान से भी छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है।

110 छात्र पहुंचे आर्मेनिया बॉर्डर
सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार ने ईरान में फंसे छात्रों को निकालने के लिए आर्मेनिया के अधिकारियों से समन्वय स्थापित किया। इस प्रयास के तहत 110 भारतीय छात्रों का पहला बैच ईरान-आर्मेनिया सीमा पर स्थित नॉरदुज चौकी पहुंचा, जहां से उन्हें बसों द्वारा आर्मेनिया ले जाया गया।

लगभग 10 हजार भारतीय अभी भी ईरान में फंसे
वर्तमान में ईरान में लगभग 10,000 भारतीय फंसे हुए हैं, जिनमें करीब 1,500 छात्र हैं। ईरानी विदेश मंत्रालय ने बताया कि देश के अधिकांश एयरपोर्ट बंद हैं, लेकिन लैंड बॉर्डर्स अब भी खुले हैं। विदेशी नागरिकों को ईरान से निकलने से पहले ईरानी जनरल प्रोटोकॉल विभाग को पूरी जानकारी — जैसे नाम, पासपोर्ट नंबर, गाड़ी की जानकारी, प्रस्थान समय और चुना गया बॉर्डर — देनी होती है। ईरान सात देशों — पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अजरबैजान, आर्मेनिया, तुर्किये और इराक — से घिरा है। भारत ने आर्मेनिया को छात्रों की निकासी के लिए इसलिए चुना क्योंकि: भौगोलिक निकटता: आर्मेनिया का बॉर्डर ईरान के प्रमुख शहरों से नजदीक है। मजबूत द्विपक्षीय संबंध: भारत और आर्मेनिया के बीच राजनीतिक और रक्षा सहयोग के अच्छे संबंध हैं। राजनीतिक स्थिरता: आर्मेनिया स्थिर और शांतिपूर्ण देश है। सुलभ हवाई मार्ग: येरेवन एयरपोर्ट पूरी तरह चालू है और वहां से भारत के लिए उड़ानों की व्यवस्था जल्दी संभव है। इसके विपरीत पाकिस्तान, अजरबैजान, इराक और तुर्किये जैसे विकल्प भारत के लिए या तो राजनीतिक रूप से संवेदनशील हैं या भूगोल के लिहाज़ से अव्यवहारिक।

ईरान से सीधे एयरलिफ्ट क्यों नहीं?
ईरान और इजराइल के बीच युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। सुरक्षा खतरे को देखते हुए भारतीय छात्रों को सीधे ईरान से एयरलिफ्ट करना संभव नहीं है। इसके पीछे प्रमुख कारण हैं: अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों की बंदी: अधिकांश इंटरनेशनल एयरपोर्ट नागरिक उड़ानों के लिए बंद हैं। हमलों का खतरा: कई क्षेत्रों में इजराइली हमलों की वजह से फ्लाइट्स को निशाना बनाए जाने का डर है। अनुमतियों और सुरक्षा का अभाव: एयरलिफ्ट के लिए ईरान सरकार की अनुमति और पर्याप्त सुरक्षा की आवश्यकता होती, जो वर्तमान में संभव नहीं है।
आर्मेनिया की सहज पहुंच: नॉरदुज बॉर्डर सुरक्षित माना जा रहा है और आर्मेनिया में हालात पूरी तरह नियंत्रण में हैं।

छात्रों ने लगाई थी मदद की गुहार
ईरान में पढ़ रही एक कश्मीरी छात्रा ने वीडियो जारी कर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से मदद की अपील की थी। इसके बाद सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए निकासी की प्रक्रिया तेज की। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, बीते तीन दिनों में इजराइली हमलों के कारण राजधानी तेहरान समेत कई शहरों में हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें लग रही हैं, ईंधन की आपूर्ति बाधित है और लोग अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर भाग रहे हैं । अधिकारियों ने बताया कि केवल तेहरान में अब तक 200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। वहीं रॉयटर्स से बात करते हुए एक स्थानीय निवासी ने कहा कि घंटों कतार में लगने के बावजूद पेट्रोल नहीं मिल पा रहा।


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By desk 24newsupdate

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