
24 News Update रायपुर/भिलाई। छत्तीसगढ़ की राजनीति शुक्रवार को उस समय उबाल पर आ गई जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भिलाई में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को हिरासत में ले लिया। यह कार्रवाई राज्य में कथित 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में की गई। हालांकि, म्क् की ओर से इस गिरफ्तारी को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
विधानसभा सत्र के अंतिम दिन कार्रवाई, भूपेश बघेल का केंद्र पर हमला
चैतन्य की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार और जांच एजेंसियों पर राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई का आरोप लगाया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर लिखा – “ईडी आ गई। आज विधानसभा सत्र का अंतिम दिन है। अडाणी के लिए तमनार में काटे जा रहे पेड़ों का मुद्दा उठाना था। ’साहेब’ ने ईडी भेज दी।“
उन्होंने आरोप लगाया कि, “पिछली बार मेरे जन्मदिन पर ईडी भेजी गई थी, इस बार मेरे बेटे के जन्मदिन पर भेजी गई है। मोदी-शाह अपने मालिक को खुश करने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। लेकिन भूपेश न डरेगा, न झुकेगा।“
कांग्रेस का जोरदार विरोध, विधानसभा से वॉकआउट
कार्रवाई से कांग्रेस विधायकों में भारी आक्रोश देखा गया। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, देवेंद्र यादव और अन्य विधायक विधानसभा की कार्यवाही छोड़कर रायपुर की स्पेशल कोर्ट पहुंचे, जहां ईडी चैतन्य को पेश कर रही थी। कांग्रेस ने विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। डॉ. महंत ने कहा, “बेटे का जन्मदिन है और उसे उठा लिया गया। यह सब राजनीतिक दबाव में हो रहा है।“
रायपुर में प्रदर्शन, पुलिस से झड़प
भूपेश बघेल के रायपुर स्थित निवास और ईडी दफ्तर के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया। गेट नंबर 2 पर कांग्रेस कार्यकर्ता सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। कई जगह कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प भी हुई, बैरिकेड तोड़ने का प्रयास किया गया।
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में सामने आया था। इस मामले में ईडी की जांच शुरू हुई। जांच में सामने आया कि इस घोटाले को आईएएस अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के तत्कालीन एमडी ए.पी त्रिपाठी, और कारोबारी अनवर ढेबर के “सिंडिकेट“ ने अंजाम दिया। आरोप है कि सरकारी शराब दुकानों की सप्लाई और कम गुणवत्ता वाली शराब की ओवरइनवॉइसिंग के जरिए 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी हुई।
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