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रूप सागर की व्यथाः गुलाब के फूलों में छिपा आक्रोश, तालाब सूख गया, उम्मीदें नहीं

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24 न्यूज अपडेट उदयपुर। उदयपुर के रूप सागर तालाब की किस्मत इन दिनों किसी पुराने सरकारी फाइल जैसी हो गई है। धूल खा रही है और किसी को परवाह नहीं। लेकिन जैसे ही चुनावी मौसम पास आता है, तालाब एक बार फिर ज़िंदा हो उठता है, नेताओं की बातों में, वादों में, और इस बार गुलाब के फूलों में भी। बुधवार को रूप सागर तालाब विकास संघर्ष समिति के सदस्य जब जिला कलेक्टर नमित मेहता से मिलने पहुंचे, तो हाथों में शिकायती आवेदन नहीं, गुलाब के फूल थे। गांधीवादी अंदाज़ में विरोध जताने पहुंचे ये लोग कोई नई बात नहीं कह रहे थे, बस वही पुराना दर्द दोहरा रहे थेकृतालाब को खत्म किया जा रहा है, उसकी जमीन पर महल जैसे मकान उग आए हैं और प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा है।
समिति अध्यक्ष सूर्य प्रकाश उपाध्याय ने बताया कि तालाब की पाल के नीचे तक बाउंड्री वॉल खिंच चुकी है, पिछला हिस्सा भरकर प्लॉटिंग हो रही है, और नालों के रास्ते बंद कर दिए गए हैं ताकि बरसात में पानी तालाब तक पहुंच ही न पाए। तालाब की मोखी तक से छेड़छाड़ कर दी गई है। साफ है, जो तालाब एक समय पूरे इलाके का जीवन था, अब रियल एस्टेट का सपना बन चुका है।
पूर्व पार्षद शिप्रा उपाध्याय ने कलेक्टर को याद दिलाया कि कोर्ट ने इस बारे में पहले ही अहम आदेश दिए हैं, लेकिन ज़मीनी हालात में कोई सुधार नहीं दिखता। कलेक्टर ने भी पुरानी परंपरा निभाते हुए ‘तत्काल कार्रवाई’ का भरोसा दिलाया और मौके पर ही यूडीए के राहुल जैन को फोन घुमा दिया। 24 घंटे में हालात सुधारने का आश्वासन दिया गया मगर रूप सागर पर पिछला प्रशासनिक रवैया देख किसी को यकीन ही नहीं हुआ। इस मौके पर समिति के सह सचिव राजेश पालीवाल, विष्णु जोशी, भंवर सिंह, विद्यासागर उपाध्याय, सुमनेश वर्मा, बद्रीलाल माली, उमा जोशी, सीता ज्वर, गणेशी बाई माली, रेखा कंवर, लाजवंती माली, महेश जोशी और शैलेंद्र सिंह भी मौजूद थे।
हैरानी की बात यह है कि इस पूरे नाटक के पीछे असली किरदार सरकारी महकमा ही है। जिसने कभी रोक नहीं लगाई, कार्रवाई नहीं की, और अब न्याय की उम्मीद भी उसी से की जा रही है। सरकारी सरपरस्ती में ही कोठियां खड़ी हो गईं व होती ही जा रही है। कोई रोकने वाला नहीं क्योंकि काम रोकने वालों की देखरेख में ही हो रहा है। बदले में उनको उचित पारिश्रमिक भी मिल रहा है।

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