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डूंगरपुर को अलगाव की राजनीति में धकेलना चाहते हैं राजकुमार रोत: सांसद मन्नालाल रावत

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दिशा बैठक में धमकी, अपशब्द और अराजकता; आंगनवाड़ी बहनों के अपमान का आरोप

उदयपुर। डूंगरपुर की दिशा समिति बैठक अब केवल प्रशासनिक समीक्षा नहीं, बल्कि आदिवासी अंचल की राजनीति और विकास की दिशा पर टकराव का बड़ा मंच बन गई है। बैठक के सह-अध्यक्ष और उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने बीएपी सांसद राजकुमार रोत और आसपुर विधायक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “डूंगरपुर को विकास की मुख्यधारा से काटकर अलगाववाद का टापू बनाने की कोशिश की जा रही है।”

सांसद रावत ने आरोप लगाया कि बैठक के दौरान बीएपी नेताओं ने अशोभनीय टिप्पणियां, थप्पड़ मारने की कोशिश, जान से मारने की धमकी और खुलेआम राजनीतिक छिछोरापन किया, जिससे बैठक की गरिमा तार-तार हो गई।

केंद्र की योजनाओं पर चर्चा नहीं, केवल राजनीतिक उकसावे

सांसद रावत ने कहा कि दिशा बैठक की 101 बिंदुओं वाली केंद्र सरकार की गाइडलाइन को ताक पर रखकर बीएपी सांसद ने शुरू से ही बेतुकी और भड़काऊ राजनीति की।
उन्होंने कहा—
“हमने केंद्र सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारने पर चर्चा करने का आग्रह किया, लेकिन जवाब में अपशब्द, धमकी और बैठक से बाहर निकलकर ‘देख लेने’ की भाषा सुनने को मिली।”

आंगनवाड़ी बहनों का अपमान, भ्रष्ट बताने का आरोप

डॉ. रावत ने आरोप लगाया कि बीएपी नेताओं ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भ्रष्ट बताकर कहा कि वे राशन सामग्री गुजरात ले जाकर बेच देती हैं
उन्होंने इसे आदिवासी अंचल की हजारों आंगनवाड़ी बहनों का सामूहिक अपमान करार देते हुए कहा कि यह बयान महिला सम्मान और सामाजिक ताने-बाने पर सीधा हमला है।

मिड-डे मील पर भी सवाल, स्कूल बच्चों पर असर

सांसद रावत ने आरोप लगाया कि राजकुमार रोत स्कूलों में दोपहर का भोजन बंद करने का षड्यंत्र रच रहे हैं, जिससे आदिवासी क्षेत्र के बच्चों के पोषण और शिक्षा पर सीधा असर पड़ेगा।

जनता के शिविरों पर तंज, एजेंडा से भटकी बैठक

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा लगाए जा रहे जन-समस्या समाधान शिविरों पर भी बीएपी सांसद ने टिप्पणी करते हुए कहा—
“टेंट का पैसा कहां से आ रहा है, खाने का पैसा कहां से आ रहा है।”
जबकि यह विषय बैठक के एजेंडे में शामिल ही नहीं था।

डूंगरपुर विकास चाहता है, अलगाव नहीं

सांसद रावत ने कहा—
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकसित भारत की बात करते हैं, तो डूंगरपुर भी भारत का हिस्सा है। क्या यह जिला हमेशा गरीब रहेगा? क्या यहां के युवाओं को केवल पलायन करना होगा?”
उन्होंने कहा कि वे डूंगरपुर में रोजगार, कौशल विकास और बुनियादी ढांचे की बात करते हैं, जबकि बीएपी सांसद केवल अलगाव की राजनीति को हवा दे रहे हैं।

एफआईआर की चेतावनी

बैठक के अंत में सांसद रावत ने कलेक्टर से दो टूक कहा—
“धमकी देने वालों पर एफआईआर होगी या मुझे मुख्यमंत्री से कहना पड़ेगा?”
उनके हस्तक्षेप के बाद ही बैठक कुछ हद तक जन-विकास के मुद्दों पर लौट सकी।

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