राजीव गांधी स्टडी सर्किल उदयपुर जिला इकाई द्वारा राजीव गांधी का “पंचायतीराज, स्थानीय स्वशासन एवं महिला नेतृत्व के निर्माण में योगदान” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार
“भारतीय लोकतंत्र को गांव-गांव तक पहुंचाने और महिलाओं को नेतृत्व की मुख्यधारा में लाने का जो सपना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने देखा था, वह आज करोड़ों लोगों की आवाज बन चुका है। विकेंद्रीकृत शासन, महिला सशक्तिकरण और ग्राम स्वराज को लेकर उनकी दूरदृष्टि आज भी प्रासंगिक है।”
24 News update उदयपुर, 26 अगस्त 2025। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती माह के उपलक्ष्य में राजीव गांधी स्टडी सर्किल उदयपुर जिला इकाई की ओर से सोमवार को एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विषय था— “राजीव गांधी का पंचायती राज, स्थानीय स्वशासन एवं महिला नेतृत्व के निर्माण में योगदान।” इस अवसर पर वक्ताओं ने राजीव गांधी के दूरदर्शी नेतृत्व और उनके द्वारा लोकतंत्र को जमीनी स्तर तक पहुंचाने के प्रयासों को रेखांकित किया।
राजीव गांधी की दूरदृष्टि ने बदली भारतीय लोकतंत्र की दिशा
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, राजस्थान राज्य उच्च शिक्षा परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष प्रो. दरियाव सिंह चुंडावत ने कहा कि राजीव गांधी का योगदान भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में परिवर्तनकारी रहा है। 1984 में मात्र 40 वर्ष की आयु में भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने राजीव गांधी ने लोकतंत्र को केवल शहरी सीमाओं तक सीमित न रखते हुए गांव-गांव तक पहुंचाने का संकल्प लिया।
उन्होंने बताया कि 1980 के दशक के उत्तरार्ध में लाए गए उनके सुधारों ने ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने की नींव रखी। विशेषकर महिलाओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर उनका जोर सामाजिक संरचना में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला कदम था।

64वें संवैधानिक संशोधन से शुरू हुई पंचायती राज की क्रांति
प्रो. चुंडावत ने कहा कि राजीव गांधी के नेतृत्व में 1989 में 64वां संवैधानिक संशोधन विधेयक लाया गया, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं को शासन की तीसरी परत के रूप में संवैधानिक दर्जा देने का ऐतिहासिक प्रावधान था। यह विधेयक राज्यसभा में मामूली अंतर से पारित नहीं हो सका, परंतु इसके माध्यम से ही 1992 में लागू हुए 73वें संशोधन अधिनियम की नींव पड़ी।
इस संशोधन ने पंचायतों को नियमित चुनाव, वित्तीय हस्तांतरण और त्रिस्तरीय स्थानीय स्वशासन व्यवस्था का ढांचा प्रदान किया।
ग्राम स्वराज के सपने को दिया आकार
राजीव गांधी स्टडी सर्किल उदयपुर के जिला समन्वयक डॉ. गिरिराज सिंह चौहान ने कहा कि राजीव गांधी का प्रयास महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के उस दृष्टिकोण को साकार करने में महत्वपूर्ण था, जिसमें गांव अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं करें।
उन्होंने बताया कि राजीव गांधी ने जिला अधिकारियों और स्थानीय नेताओं से लगातार संवाद स्थापित किया। इसका परिणाम 1989 में आयोजित पंचायती राज सम्मेलन जैसे आयोजनों में देखने को मिला, जिसने विकेंद्रीकृत शासन के लिए व्यापक जनसमर्थन तैयार किया।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में अभूतपूर्व पहल
डॉ. चौहान ने आगे कहा कि राजीव गांधी के सुधारों का सबसे बड़ा आधार महिलाओं को स्थानीय शासन में सशक्त बनाना था। 1988 में उनके नेतृत्व में तैयार की गई राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना ने पंचायतों में निर्वाचित सीटों पर 30% आरक्षण का प्रावधान सुझाया, जिसे बाद में 73वें संशोधन अधिनियम में शामिल किया गया।
इस साहसिक कदम ने महिला नेतृत्व को नई दिशा दी और आज इसके परिणामस्वरूप देशभर में लगभग 15 लाख महिलाएं सरपंच और पंचायत प्रतिनिधि के रूप में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
महिलाओं को मिली राजनीतिक भागीदारी से लोकतंत्र हुआ मजबूत

राजीव गांधी स्टडी सर्किल उदयपुर के विश्वविद्यालय समन्वयक डॉ. देवेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं को राजनीतिक प्रतिनिधित्व देना राजीव गांधी का अभूतपूर्व और साहसिक कदम था। उनका मानना था कि जमीनी स्तर पर महिलाओं की भागीदारी से लोकतंत्र और अधिक मजबूत होगा तथा समाज के वंचित वर्गों की आवाज को स्थान मिलेगा।
ग्राम सभाओं से बढ़ी पारदर्शिता और जवाबदेही

सुखाड़िया विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के डॉ. जी.एल. पाटीदार ने कहा कि वित्तीय संसाधनों की कमी और राजनीतिक हस्तक्षेप जैसी चुनौतियों के बावजूद, राजीव गांधी के सुधारों ने ग्रामीण शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही की नई परंपरा स्थापित की। ग्राम सभाओं के गठन ने स्थानीय स्तर पर सामुदायिक भागीदारी और निर्णय लेने की प्रक्रिया को मजबूत बनाया।
शिक्षकों और छात्रों की रही उपस्थिति
सेमिनार में डॉ. मुकेश मीणा, डॉ. मोहित नायक सहित अनेक शिक्षक और छात्र उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए वक्ताओं ने एक स्वर से माना कि राजीव गांधी ने अपने संकल्प, दूरदृष्टि और सुधारों के माध्यम से भारतीय लोकतंत्र को जमीनी स्तर पर मजबूत करने में ऐतिहासिक योगदान दिया। सभी ने एक स्वर से माना कि राजीव गांधी के सुधारों ने भारतीय लोकतंत्र की जड़ें मजबूत कीं और स्थानीय स्वशासन को संवैधानिक पहचान दिलाई।
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