24 News Update नई दिल्ली/बांसवाड़ा। रेल मंत्रालय ने आदिवासी बहुल क्षेत्रों के आर्थिक और सामाजिक विकास की दिशा में एक एतिहासिक कदम उठाते हुए नीमच-बांसवाड़ा-दाहोद-नंदुरबार नई रेल लाइन के फाइनल सर्वेक्षण के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने की अनुमति दे दी है। यह प्रस्तावित 380 किलोमीटर लंबी लाइन राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के कई आदिवासी अंचलों को सीधे जोड़ते हुए दिल्ली-मुंबई के बीच एक नया और छोटा रेल मार्ग स्थापित करेगी।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि बांसवाड़ा जिला, जो कि रेल से अब तक अछूता है, उसकी स्वाभाविक कनेक्टिविटी दाहोद के साथ है। इस कारण, मौजूदा डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल परियोजना के समानांतर नीमच-बांसवाड़ा-दाहोद लाइन की भी डीपीआर बनाने का निर्णय लिया गया है। यह नया मार्ग ताप्ती रेल सेक्शन से मुंबई-दिल्ली मेन रूट को दाहोद के माध्यम से जोड़ने वाला सबसे छोटा वैकल्पिक रूट होगा। इससे मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात के कम से कम छह शहरों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।
खनिज संपदा, पर्यटन, और रोजगार के दरवाजे खोलने वाला प्रोजेक्ट
बांसवाड़ा, जो एक पर्वतीय और आदिवासी बहुल जिला है, प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है लेकिन अब तक भारतीय रेल नेटवर्क से नहीं जुड़ पाया है। इस क्षेत्र में मैंगनीज, डोलोमाइट, चूना पत्थर, क्वार्टजाइट, तांबा और सोना जैसे खनिज विपुल मात्रा में पाए जाते हैं। इस नई लाइन के बनने से इन खनिजों की माल ढुलाई कम लागत और कम समय में हो सकेगी। साथ ही, क्षेत्रीय व्यापार को भी नई गति मिलेगी।
योजना के अंतर्गत दाहोद-अलीराजपुर-नंदुरबार मार्ग जो पर्वतीय और आदिवासी क्षेत्र है, को भी नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। यह मार्ग ताप्ती खंड से मुंबई-दिल्ली मेन रूट को जोड़ने वाला एक उच्च घनत्व वैकल्पिक मार्ग बन जाएगा। इस रूट से शहादा शहर को भी शामिल करने की बात कही गई है, क्योंकि वहां की जनसंख्या 50 हजार से अधिक है।
पर्यटन और समावेशी विकास को बढ़ावा
इस रेलवे लाइन के निर्माण से स्थानीय पर्यटन स्थलों, विशेषकर बांसवाड़ा, दाहोद, और नीमच के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को राष्ट्रीय स्तर पर पहुँच मिल सकेगी। साथ ही, इन क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
रेल मंत्री ने कहा कि यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘सबका साथ, सबका विकास’ की सोच को धरातल पर उतारेगी और विकास की मुख्यधारा से अब तक कटे इलाकों को देश के अन्य हिस्सों से जोड़कर समावेशी प्रगति का रास्ता खोलेगी। यह रेलवे लाइन न सिर्फ भौगोलिक दूरी कम करेगी, बल्कि सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक विकास को भी एक नई दिशा देगी।
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