Site icon 24 News Update

2030 तक रेल क्षमता दोगुनी करने की तैयारी, जयपुर–जोधपुर बनेंगे नए टर्मिनल और मेगा मेंटेनेंस हब, यात्रियों को मिलेगा सीधा फायदा

Advertisements

24 News Update नई दिल्ली/जयपुर। देश में लगातार बढ़ती रेल यात्री संख्या को देखते हुए भारतीय रेलवे ने 2030 तक बड़ा रोडमैप तैयार किया है। योजना के तहत देश के 48 प्रमुख शहरों में ट्रेनों की शुरुआती यानी ओरिजिनेटिंग क्षमता को दोगुना किया जाएगा। इसका सीधा असर भीड़भाड़ कम करने, समयबद्ध परिचालन और नई ट्रेनों के संचालन पर पड़ेगा।
रेलवे का फोकस सिर्फ दीर्घकालिक नहीं है, बल्कि अगले पाँच वर्षों में ही चरणबद्ध क्षमता वृद्धि कर यात्रियों को तुरंत राहत देने की रणनीति अपनाई गई है। इसके लिए अल्पकालिक, मध्यम और दीर्घकालिक उपायों को एक साथ लागू किया जाएगा।

क्या-क्या बदलेगा रेलवे नेटवर्क में
रेलवे की इस महत्वाकांक्षी योजना में— मौजूदा टर्मिनलों पर नए प्लेटफॉर्म, पिट लाइन, स्टेबलिंग लाइन और शंटिंग सुविधाओं का विस्तार शहरों के भीतर और आसपास नए टर्मिनल स्टेशनों का निर्माण मेगा कोचिंग कॉम्प्लेक्स के जरिए अत्याधुनिक मेंटेनेंस
सिग्नलिंग अपग्रेड, मल्टीट्रैकिंग और ट्रैफिक सुविधा कार्यों से सेक्शन कैपेसिटी बढ़ाना, जैसे बड़े कार्य शामिल हैं।

जयपुर के लिए बड़ा बदलाव
जयपुर में खातीपुरा स्टेशन को सैटेलाइट टर्मिनल के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां 205 करोड़ रुपये की लागत से कोच केयर कॉम्प्लेक्स का निर्माण प्रगति पर है। इसके तहत नई लाइनें, वॉशिंग पिट, स्टेबलिंग लाइन और आधुनिक तकनीकी संसाधन विकसित किए जा रहे हैं।

खातीपुरा के विकसित होने से— जयपुर जंक्शन पर दबाव घटेगा, ट्रेनों की समयपालन क्षमता सुधरेगी, नए रूटों पर ट्रेनों के संचालन की राह खुलेगी, खास बात यह है कि यहां वंदे भारत, एलएचबी और डेमू जैसे सभी प्रकार के रेक्स का मेंटेनेंस एक ही स्थान पर किया जा सकेगा। इसके अलावा जयपुर के पास भट्टों की गली को मेगा कोचिंग टर्मिनल के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव है। पहले चरण में करीब 800 करोड़ रुपये की योजना तैयार की गई है, जिसमें वंदे भारत सहित अन्य ट्रेनों के लिए पिट लाइन, वॉशिंग लाइन और स्टेबलिंग सुविधाएं विकसित होंगी।

जोधपुर बनेगा वंदे भारत मेंटेनेंस हब
जोधपुर में भी भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बड़े स्तर पर तैयारी की जा रही है। भगत की कोठी स्टेशन पर 167 करोड़ रुपये की लागत से मेंटेनेंस कम वर्कशॉप डिपो का निर्माण किया जा रहा है, जहां वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों की मेंटेनेंस सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इसके साथ ही भगत की कोठी में करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से मेगा कोचिंग टर्मिनल प्रस्तावित है, जिसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है। इससे क्षेत्र में अधिक ट्रेनों का अनुरक्षण संभव होगा और नई रेल सेवाओं का विस्तार किया जा सकेगा।

तीन चरणों में होगा क्रियान्वयन
रेलवे के अनुसार, यह पूरी योजना तीन चरणों में लागू होगी। लक्ष्य वर्ष 2030 रखा गया है, लेकिन अगले पाँच वर्षों में ही क्षमता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी सुनिश्चित की जाएगी ताकि यात्रियों को तत्काल लाभ मिल सके।

Exit mobile version