“न्याय के इंतज़ार में पेंशनर्स का जयपुर में धरना, सरकार की अनदेखी से बढ़ा आक्रोश”
24 न्यूज़ अपडेट जयपुर, राजस्थान के विश्वविद्यालयों के पेंशनर्स अपनी जायज़ मांगों को लेकर आज सड़कों पर उतरने को मजबूर हो गए। जयपुर स्थित शहीद स्मारक के सामने राज्यभर के विश्वविद्यालयों के पेंशनर्स ने एकजुट होकर विशाल धरना प्रदर्शन किया। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) उदयपुर के पेंशनर्स ने भी इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया।
पेंशनर्स वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. एस.के. भटनागर ने बताया कि जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, ऑल राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय पेंशनर्स फेडरेशन समेत अन्य विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ नागरिक अपनी लंबित पेंशन, एरियर, ग्रेच्युटी, और अन्य वित्तीय बकाया के भुगतान की माँग कर रहे हैं।
“जीवनभर की सेवा के बाद क्या हमें इस उम्र में सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा?” – यह सवाल प्रदर्शन में शामिल कई बुजुर्ग पेंशनर्स की आँखों में बेबसी और नाराजगी को दर्शा रहा था।
65 से अधिक पेंशनर्स उदयपुर से पहुँचे जयपुर
एमपीयूएटी के उदयपुर, भीलवाड़ा, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर जैसे जिलों से 65 से अधिक पेंशनर्स जयपुर पहुँचे। इस प्रदर्शन में पूर्व कुलपति डॉ. ओ.पी. गिल, प्रो. हरिशंकर शर्मा, महासचिव प्रो. बी.के. शर्मा, श्री मूलचंद, तथा महासचिव आर.के. राजपूत समेत कई वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हुए।
“सरकार ने हमारी पीड़ा नहीं सुनी, मजबूरी में धरना देना पड़ा”
पेंशनर्स ने बताया कि वे पिछले दो वर्षों से अपनी समस्याओं को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकार के पास गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला। एमपीयूएटी में 1,370 से अधिक पेंशनर्स हैं, जिनकी पेंशन और अन्य वित्तीय बकाया का भुगतान अटका हुआ है।
“हमने विश्वविद्यालय प्रशासन से कई बार वार्ता की, धरने भी दिए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। राज्य सरकार के अनिर्णय और उदासीन रवैये के कारण हमें अपने जीवन की संध्या में धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।” – डॉ. भटनागर
ट्रेजरी से भुगतान की मांग, नहीं तो आंदोलन होगा तेज़
पेंशनर्स ने मांग की है कि अन्य राज्यों की तरह राजस्थान में भी विश्वविद्यालयों के पेंशनर्स को ट्रेजरी से भुगतान किया जाए। सरकार की ढुलमुल नीति से राज्य के विश्वविद्यालयों में वित्तीय संकट गहरा गया है। अगर जल्द समाधान नहीं निकला तो पेंशनर्स आंदोलन को और तेज़ करेंगे।
“क्या बुजुर्गों की मेहनत की कमाई का सम्मान नहीं?”
धरने में शामिल एक वरिष्ठ पेंशनर ने कहा, “हमने अपनी पूरी ज़िंदगी विश्वविद्यालयों को दी, नई पीढ़ी को शिक्षा दी, लेकिन अब हमें ही अपने हक के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। क्या यह न्याय है?”
सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पेंशनर्स का साफ़ कहना है कि वे अपनी जायज़ मांगों को लेकर संघर्ष जारी रखेंगे। डॉ सुभाष भार्गव एवं प्रतिनिधि मण्डल ने विधानसभा में mpuat पेंशनर्स की समस्याओं के संबंध में मांग पत्र और ज्ञापन भी दिया।
💠 मुख्य बिंदु:
🔹 65 से अधिक पेंशनर्स ने उदयपुर से लिया भाग
- एमपीयूएटी उदयपुर, भीलवाड़ा, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर से भारी संख्या में पेंशनर्स पहुंचे।
- पूर्व कुलपति डॉ. ओ.पी. गिल, प्रो. हरिशंकर शर्मा, महासचिव प्रो. बी.के. शर्मा, और महासचिव आर.के. राजपूत समेत कई वरिष्ठ शिक्षाविद शामिल हुए।
🔹 पेंशन और वित्तीय बकाया का अटका भुगतान
- दो वर्षों से लंबित पेंशन, एरियर, ग्रेच्युटी, कम्युटेशन और राहत भत्ते का नहीं हुआ भुगतान।
- राज्य सरकार की अनदेखी और ढुलमुल नीति से विश्वविद्यालयों में गहराया वित्तीय संकट।
🔹 सरकार से सीधा सवाल:
- “हमने पूरी ज़िंदगी विश्वविद्यालयों को दी, अब हमें ही अपने हक़ के लिए सड़कों पर क्यों उतरना पड़ा?”
- “क्या हमारे संघर्ष की कोई कीमत नहीं?”
🔹 मुख्य माँग:
- राजस्थान में अन्य राज्यों की तरह पेंशनर्स को ट्रेजरी से भुगतान दिया जाए।
- सरकार वरिष्ठ नागरिकों की सम्मानजनक आजीविका सुनिश्चित करे।
🔹 निष्कर्ष:
- यदि जल्द समाधान नहीं निकला तो आंदोलन और तेज़ होगा।
- यह सिर्फ़ आर्थिक मुद्दा नहीं, बल्कि सम्मान और अस्तित्व का प्रश्न है।
🖼️ “संघर्ष की यह तस्वीर सिर्फ़ एक धरने की नहीं, बल्कि न्याय की पुकार की है!”
📜 प्रो. एस.के. भटनागर
अध्यक्ष, पेंशनर्स वेलफेयर सोसाइटी, एमपीयूएटी, उदयपुर
💡 “सम्मान की रौशनी कभी बुझनी नहीं चाहिए!”
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