24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (एमएलएसयू) में कर्मचारियों की मांगों को लेकर जारी आंदोलन में अब पुलिस की एंट्री करवा दी गई है। अब प्रशासन के साथ कंधे के कंधा मिला कर पुलिस सक्रिय हुई। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठन (भामस) के अध्यक्ष नारायणलाल सालवी को प्रतापनगर थाने की ओर से नोटिस जारी किया गया।
नोटिस में कहा गया है कि आंदोलन के कारण नियमित राजकार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है। साथ ही, यह भी आरोप लगाया गया है कि धरने में बाहरी लोगों, छात्र संगठनों और अन्य एजेंसियों से जुड़े लोगों को शामिल किया गया, जिससे भविष्य में कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका है। नोटिस में चेतावनी दी गई है कि यदि ऐसी स्थिति बनी तो सालवी को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार मानते हुए कानूनी कार्रवाई की जाएगी। खास बात यह है कि कल ही प्रतापगर थाने तक वीसी की शवयात्रा निकाते हुए संगठन की ओर से उनके साथ गई दो महिला कर्मचारियों ने वीसी पर मारपीट सहित कई गंभीर आरोप लगाए थे। दोनों कर्मचारियों के परिवाद तक आज खबर लिखे जाने तक कोई एफआईआर या पूछताछ नहीं की गई।
शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने का प्रयास- ‘कर्मचारी संघ
नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्मचारी नेता नारायणलाल सालवी ने प्रशासन और कुलपति पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “हमारे साथियों द्वारा दिए गए परिवादों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उल्टा आंदोलन को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। कुलपति महोदया अपने कथित उच्च संपर्कों का इस्तेमाल कर धरने को कुचलना चाहती हैं, जबकि हमारी सभी मांगे शांतिपूर्ण तरीके से रखी गई हैं।“ सालवी ने स्पष्ट किया कि आंदोलन में कोई बाहरी व्यक्ति शामिल नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, “हमारा संगठन ’मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय कर्मचारी संगठन (भामस)’ मान्यता प्राप्त है और यह आरएसएस से संबद्ध मजदूर संघ से जुड़ा हुआ है। कल एनएसयूआई ने अपने आंदोलन के दौरान जब आंदोलनकारी बहनों का दर्द देखा तो तुरंत समर्थन दिया था, एनएसयूआई एक वैध छात्र संगठन है। बाहरी हस्तक्षेप कहकर विश्वविद्यालय के मामले में पुलिसिया हस्तक्षेप करवाना सरासर गलत है।“
“विचारधारा पर हमला, हमें सड़क पर बैठाया गया“
सालवी ने कहा कि आंदोलन को प्रशासन जानबूझकर बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। “हम राष्ट्रवादी विचारधारा से ओतप्रोत हैं, लेकिन राज्य और केंद्र में हमारी राष्ट्रवादी विचारधारा की सरकार होते हुए भी हमें कुचला जा रहा है। यह विचारधारा पर भी हमला है।“ उन्होंने बताया कि धरना स्थल पर पहले पोर्च में बैठने की अनुमति थी, लेकिन बाद में उन्हें वहां से हटाकर सड़क पर बैठा दिया गया। “हमने तपती धूप और बारिश सहकर भी आंदोलन जारी रखा। अब जब आंदोलन प्रभावशाली होता दिख रहा है, तो प्रशासन बौखला गया है और झूठे आरोप लगाकर हमें निशाना बनाया जा रहा है।“
“महिला कर्मचारियों की शिकायत पर हो कार्रवाई“
कर्मचारी संघ की ओर से पुलिस प्रशासन से मांग की गई कि महिला कर्मचारियों द्वारा दिए गए परिवादों पर तत्काल कार्रवाई की जाए। धरने पर कहा गया कि “जिन पर आरोप हैं वे प्रभावशाली लोग हैं और जांच को प्रभावित कर सकते हैं। यदि देरी हुई, तो न्याय बाधित होगा। हमने इस मामले की सूचना केंद्र व राज्य महिला आयोग, एसटी-एससी आयोग और मानवाधिकार आयोग सहित कई एजेंसियों को दे दी है।“
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