📌 24 न्यूज अपडेट, उदयपुर
उदयपुर में पासपोर्ट सेवा केंद्र के नए वेन्यू का उद्घाटन लगातार टाला जाना मजाक का विषय बन गया है। लग रहा है कि जो फीता काटा जाना है वह बार-बार भ्रष्टाचार के खुलासे का करंट मार रहा है। जब तक भ्रष्टाचार के इस नेक्सस को नहीं काटा जाता, तब तक अधिकारियों की भी फीता काटने की हिम्मत नहीं हो रही है। वे बार-बार उद्घाटन शेड्यूल बनवाने व टालने का खेल खेल रहे हैं। भ्रष्टाचार ऐसा भारी हुआ है कि अब ना निगलते बन रहा है ना उगलते। पहले सोचा था कि उदयपुर की मूर्ख, गूंगी और भोली भाली जनता को ‘‘पोपट’’ बनाकर मिल बांटकर खेल खेल लेंगे और बच निकलेंगे मगर अब जिला कलेक्टर, निगम आयुक्त और पूर मामले में द-वॉल बनकर सामने खड़े हो गए पूर्व मेयर चंद्रसिंह कोठारी साहब ने खेल ही पलट कर रख दिया है। कोटा के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के अधिकारी तक आरोपों की आंच जा रही है तो उदयपुर में राजस्व वसूल करने वालों पर भी भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप लगने का खतरा मंडराने लगा है।
आज एक बार फिर से उदयपुर के लेकसिटी मॉल में जनता का पैसा चुकाए बिना करोड़ों की चपत लगाकर भागी टीसीएस कंपनी व क्षेत्रीय पासपोर्ट ऑफिस कोटा के बुलावे पर दिल्ली से आ रहे विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव के.श्रीनिवासन फीता काटने नहीं आए। इसलिए उद्घाटन टलने का विश्व रिकॉर्ड बनता हुआ नजर आया। कारण साफ है कि जो भी इस महाघोटाले को अब ढंकने का प्रयास करेगा, फीता काटने या घोटाला करने वालों के पक्ष में आएगा, उसी के हाथ काले होंगे, दामन पर कीचड़ जनता उछालेगी।
इस मामले में हमारे शतुर्मुर्ग बन बैठे जन प्रतिनिधियों को भी जनता अब बारम्बार लानत भेज रही है व पूछ रही है कि वे चुप क्यों बैठे हैं। उदयपुर की जनता के करोड़ों का पैसा खाकर कोई कैसे सरेआम भाग सकता है। और जन प्रतिनिधि केवल यह कहकर कैसे बच सकते हैं कि-हमें नहीं पता, हम स्टडी कर रहे हैं, हम उद्घाटन में नहीं आएंगे। जबकि सच ये है कि अगर वे आंख मूंद रहे हैं तो इसका सीधा मतलब उनकी मामले में रजामंदी ही कही जाएगी।
आज क्या हुआ???
आज पासपोर्ट सेवा केंद्र का औपचारिक उद्घाटन विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव के. श्रीनिवासन के हाथों होना था, लेकिन ऐन मौके पर यह कार्यक्रम फिर रद्द कर दिया गया। दसवीं बार तारीख बदली गई। आपको बता दें कि सुभाषनगर के महाराणा प्रताप भवन से 25 अगस्त को शिफ्ट होकर पासपोर्ट सेवा केंद्र ने लेकसिटी मॉल में कामकाज शुरू कर दिया था। शुक्रवार 29 अगस्त को एक बार फिर कोटा पासपोर्ट केंद्र के अधिकारियों ने मामले को ठंडा और मैनेज हुआ समझ कर औपचारिक उद्घाटन तय कर दिया मगर अंदरखाने विरोध के चलते व बकाया राशि और भवन सुपुर्दगी विवाद के सार्वजनिक होने पर समारोह रद्द करना पड़ा।
कैसे हुआ यह विवाद
उदयपुर नगर निगम के राजस्व का काम देखने वाले अधिकारियों और टीसीएस कंपनी की मिलीभगत, कोटा के अधिकारियों की शह के आरोपों के बीच यह पूरा मामला अब महाघोटाले की शक्ल ले चुका है। 2016 में निगम ने करोड़ों खर्च कर बने महाराणा प्रताप भवन को विदेश मंत्रालय को 20 साल के लिए 1 रुपये वार्षिक लीज पर निःशुल्क उपलब्ध कराया।
2017 से यहां पासपोर्ट सेवा केंद्र चल रहा था। 7 जनवरी 2022 को पासपोर्ट सेवा प्रोग्राम 2.0 लागू हुआ, और 7 जुलाई 2022 से सरकार ने इसका संचालन टीसीएस नामक निजी कंपनी को सौंप दिया। इसके साथ ही पुरानी लीज स्वतः समाप्त मानी गई।
जो करोड़ों डकार कर भाग गया, उसी के समर्थन में खड़े सिस्टम के हाथी???
उदयपुर नगर निगम ने टीसीएस से डीएलसी दर पर ₹1.52 लाख मासिक किराया मांगा, जबकि कंपनी महज ₹60 हजार देने को तैयार थी। सहमति न बनने पर कंपनी ने भवन खाली कर प्राइवेट मॉल में शिफ्ट कर दिया। बिना किराया चुकाए। वो निगम जो यूडी टेक्स नहीं चुकाने पर तुरंत मकान-दुकान, सब सीज कर देती है, मीडिया में फोटो वीडियो व खबरें जारी करके फजीहत बनाती है, वो नगर निगम इस मामले में चुपचाप देखती रही। याने, जनता का पैसा दबाकर कोई कंपनी भाग रही है, निगम पर उसे रोकने की जिम्मेदारी है मगर वह मौनी बाबा बन गई। राजस्व वालों की आंखों ना जाने किस आर्थिक लालच में चुंधियां गई, यह जांच व पनिशमेंट का विषय है। टीसीएस ने ना सिर्फ किराए दिए बिना शिफ्टिंग कर दी बल्कि चौड़े-धाड़े उद्घाटन भी रखवा दिया। ये तो हद है भाई साहब!!! कोई आपकी प्रॉपर्टी का किराया चुकाए बिना भाग जाए और पास ही में नई प्रॉपर्टी किराए पर लेकर उसका उद्घाटन दिल्ली के अफसरों से करवाए, राजस्थान के अफसर उसको सपोर्ट करें और नेता चुपचार शतुर्मुर्ग होकर मौन धारण कर ले तो इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा???
पूर्व महापौर कोठारी के विरोध ने मचाई खलबली, निवर्तमान मेयर टांक साहब की भी बोलती बंद!!!
भवन खाली होते ही पूर्व महापौर चन्द्रसिंह कोठारी ने जिला कलेक्टर नमित मेहता और निगम आयुक्त अभिषेक खन्ना से मुलाकात कर मामला उठाया। कोठारी ने साफ कहा कि निगम की नाकामी और टीसीएस व पासपोर्ट विभाग की मिलीभगत से सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लगाया गया है। कोठारी ने ज्ञापन सौंपकर कहा कि 2021 में ही विदेश मंत्रालय पर ₹39,12,632 की बकाया राशि दर्ज थी। जुलाई 2022 से अगस्त 2025 तक टीसीएस से ₹1.52 लाख प्रतिमाह $ जीएसटी वसूला जाना चाहिए। यह रकम करीब ₹56.24 लाख ($जीएसटी) बनती है। यानी कुल मिलाकर करीब एक करोड़ रुपये का राजस्व निगम से लूट लिया गया।
खन्ना साहब का एक्शन और फीता कटने की उम्मीद पर फट गया बादल
कोठारी के पत्र के बाद निगम आयुक्त ने अभिषेक खन्ना ने पूरे मामले का स्टडी किया और टीसीएस को ₹76.80 लाख की वसूली का नोटिस थमाया। इसके बाद फीता कटने की उम्मीद पर बादल फट गया। फिर से निरस्त हो गया कार्यक्रम। अब तो निगम आयुक्त को तुरंत आदेश जारी कर नए पासपोर्ट ऑफिस को ही जनता का पैसा मिलने तक सीज कर देना चाहिए। आपको बता दें कि निगम ने पहले भी कई बार लिखित पत्राचार किया था। 03/2021 के पत्र में विदेश मंत्रालय से ₹39.12 लाख बकाया की मांग की थी, वह भी अब तक बकाया है। याने विदेश मंत्रालय भी उदयपुर की जनता के 40 लाख डकार कर बैठा है। इसी प्रकार 14/03/2024 को राजस्व शाखा की ओर से टीसीएस से ₹1.52 लाख मासिक किराए की मांग की गई थी। यह पासपोर्ट सेवा केंद्र सुभाषनगर के 4281 वर्गफुट क्षेत्र के हिसाब से था।
निगम के राजस्व विभाग की मिलीभगत का अंदेशा
कोई बिना किराया दिए भाग रहा है तो राजस्व विभाग क्या सो रहा है। वह उसके भागने से पहले नोटिस जारी क्यों नहीं कर रहा। जनता के पैसों को डकारने वालों पर तत्काल सीजिंग की कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा। आखिर नगर निगम के राजस्व विभाग पर किसका दबाव था अब यह खुलकर सामने आ ही जाना चाहिए। क्या कोई नेता इस मामले में दबाव डाल रहा है, कोई कंपनी इसका आर्थिक साधनों से मैनेज करना चाहती है, क्या कोटा से कोई ऐसा है जो यहां पर कठपुतलियां नचा रहा है, अब यह सामने आ ही जाना चाहिए व इसकी जांच भी हो जानी चाहिए। अब यह अंदेशा हो रहा है कि निगम राजस्व विभाग, टीसीएस और पासपोर्ट विभाग के ही कुछ अंदर के अफसरों की मिलीभगत से यह खेल रचा गया। वरना अफसर खुद उद्घाटन का कार्यक्रम बनाने से पहली बकाया वसूली की बात करते। निगम को होने वाली आय को दरकिनार कर प्राइवेट मॉल को फायदा पहुँचाने नहीं देते। आपको बता दें कि इस माले में केंद्र सरकार और नगर निगम दोनों को करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ा। कायदे से जांच हो तो कई अफसर नप जाएंगे।
सवाल यह भी है कि जब निगम ने बाद में निःशुल्क किराये पर भवन देने की सहमति दे दी थी, तो टीसीएस को मॉल में शिफ्ट करने की क्या मजबूरी थी? जो लोग आज फीता काटने आ रहे हैं या जिनकी ओर से बुलाए जा रहे हैं वे इस मामले में दखल दे सकते थे।
अब आगे क्या होगा??? क्या सीज होगा नया पासपोर्ट सेवा केंद्र कार्यालय???
निगम का साफ कहना है जब तक बकाया राशि पूरी तरह जमा नहीं होती, तब तक भवन की सुपुर्दगी स्वीकार नहीं की जाएगी और न ही अदेयता प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
फिलहाल उद्घाटन टल गया है।
अगली तारीख कब तय होगी, यह अनिश्चित है।
लेकिन इतना तय है कि पासपोर्ट सेवा केंद्र का उद्घाटन अब विवाद और करोड़ों की वसूली के साए में ही होगा।

