24 न्यूज अपडेट, जयपुर। राजस्थान की पूर्व कांग्रेस सरकार में हुए 980 करोड़ के जल जीवन मिशन (जेजेएम) घोटाले में अब 381 करोड़ रुपये के संदिग्ध भुगतान ने नई हलचल मचा दी है। विधानसभा चुनाव आचार संहिता लागू होने से महज तीन दिन पहले फाइलों को रिकॉर्ड गति से मंजूरी दिलाकर ठेकेदारों को भुगतान का रास्ता साफ किया गया। इस पूरे प्रकरण में पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी की गिरफ्तारी के बाद कई नए राज उजागर होने की संभावना है।
तीन अधिकारियों से लेकर मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री कार्यालय तक एक दिन में फाइल पार
4 अक्टूबर 2023 को जल जीवन मिशन के तहत पाइपलाइन, पंप हाउस, इंस्टॉलेशन समेत 15 बड़े प्रोजेक्ट्स से जुड़े 381 करोड़ रुपये के भुगतान को मंजूरी दिलाने के लिए एक ही दिन में वित्त विभाग के संयुक्त सचिव, शासन सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव ने साइन किए। उसी दिन फाइल मुख्य सचिव के पास पहुँची और अगले दिन 5 अक्टूबर को मुख्यमंत्री कार्यालय से भी अंतिम स्वीकृति मिल गई। आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले इस तेजी ने पूरे प्रशासनिक तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ईडी की नजर में संदिग्ध लेन-देन, पूछताछ से खुल सकते हैं बड़े नाम
ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) का कहना है कि ठेकेदारों से अधिकारियों और दलालों के जरिए मोटा कमीशन लिया गया। महेश जोशी से पूछताछ में इस 381 करोड़ की अदायगी को लेकर तीखे सवाल पूछे जाएंगे—क्या इस फैसले के पीछे कोई राजनीतिक दबाव था? किन प्रभावशाली हस्तियों ने फाइलों को आगे बढ़वाया? ईडी सूत्रों का दावा है कि पूछताछ के दौरान कई बड़े नेताओं और अधिकारियों के नाम सामने आ सकते हैं।
समन के बावजूद पेश नहीं हुए थे जोशी, ईडी ने दी गिरफ्तारी की दलीलें
महेश जोशी को तीन बार समन भेजा गया, लेकिन वे पेश नहीं हुए। आखिरकार 24 अप्रैल 2025 को ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट से रिमांड पर लिया। ईडी अधिवक्ता अजात शत्रु मीना के अनुसार, पूछताछ में आरोपियों और इंजीनियरों ने महेश जोशी का नाम लिया है। यहां तक कि ठेकेदारों से वसूली कराई गई रकम जोशी के बेटे रोहित जोशी की फर्म में निवेश करने के प्रमाण भी मिले हैं।
महेश जोशी की सफाई: आरोप झूठे, पत्नी की गंभीर हालत का हवाला
गिरफ्तारी के बाद महेश जोशी ने कहा कि उनकी पत्नी मरणासन्न स्थिति में हैं और उनके खिलाफ बिना प्रमाण के कार्रवाई की गई है। उनके अधिवक्ता दीपक चौहान ने अदालत में तर्क दिया कि ईडी अब तक यह साबित नहीं कर पाई है कि महेश जोशी ने रिश्वत ली थी, केवल 50 लाख रुपये की राशि एक निजी कंपनी में जमा होने का जिक्र है।
फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे लूटे करोड़ों के टेंडर
जांच में खुलासा हुआ कि वर्ष 2021 में श्री गणपति ट्यूबवेल और श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनियों ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों के जरिए जल जीवन मिशन के करोड़ों के टेंडर हथिया लिए। गणपति कंपनी ने 68 निविदाओं में भाग लेकर 31 टेंडरों में एल-1 बनकर 859.2 करोड़ के टेंडर झटके, जबकि श्याम ट्यूबवेल कंपनी ने 73 टेंडरों में जीत दर्ज कर 120.25 करोड़ के टेंडर अपने नाम किए।
कैसे खुला घोटाले का जाल: एसीबी, ईडी और सीबीआई की कार्रवाई की टाइमलाइन
- 16 फरवरी 2023: यूपी निवासी पदम सिंह ने फर्जी टेंडरों की शिकायत ई-मेल से दर्ज कराई।
- 16 मार्च 2023: वकील मनेश कलवानिया ने भी भ्रष्टाचार की शिकायत की।
- 7 अगस्त 2023: एसीबी ने पीएचईडी इंजीनियर मायालाल सैनी, ठेकेदार पदमचंद जैन और अन्य को गिरफ्तार किया।
- सितंबर 2023: एसीबी ने श्री गणपति और श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की; भाजपा नेता किरोड़ी लाल मीणा ने ईडी में शिकायत दी।
- सितंबर 2023: ईडी ने भी अपनी स्वतंत्र जांच शुरू की और छापे मारे।
- 3 मई 2024: केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद सीबीआई ने मामला दर्ज किया।
- 30 अक्टूबर 2024: एसीबी ने महेश जोशी समेत 22 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।
- 24 अप्रैल 2025: महेश जोशी की गिरफ्तारी।
आगे की राह: और भी बड़े खुलासों की संभावना
ईडी सूत्रों के अनुसार, महेश जोशी से पूछताछ के आधार पर कई बड़े नेताओं और अफसरों के नामों का पर्दाफाश हो सकता है। साथ ही 381 करोड़ के भुगतान के पीछे किस-किस की भूमिका थी, इसकी भी गहन जांच होगी। आने वाले दिनों में इस घोटाले में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

