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ज्ञान पंचमी पर बच्चों की मौलिक कहानियों की गूंज — अखिल भारतीय साहित्य परिषद उदयपुर की कथा कथन गोष्ठी में दिखी नन्हे रचनाकारों की कल्पनाशीलता

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24 News Update उदयपुर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद, उदयपुर द्वारा ज्ञान पंचमी के अवसर पर पहाड़ी बाला जी मंदिर, गोवर्धन विलास में 10 से 16 वर्ष आयु वर्ग के बालक-बालिकाओं की कथा कथन गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन परिषद के सह संगठन मंत्री मनोज कुमार के सानिध्य में हुआ।
इस गोष्ठी में बच्चों को तीन श्रेणियों में कहानी प्रस्तुत करने के लिए कहा गया — पोस्टर देखकर कहानी कथन, किसी महापुरुष पर आधारित कथा, तथा आसपास के परिवेश से प्रेरित कल्पनाशील कहानी। बच्चों ने अपने मौलिक विचारों और कल्पनाशक्ति के आधार पर रोचक व प्रेरणादायक कहानियां सुनाईं। पूजा ने पोस्टर देखकर “एकता में बल” विषय पर कहानी प्रस्तुत की, जिसमें सहयोग और सद्भाव का संदेश था। रक्षिता ने “केकड़े और कछुए की कथा” सुनाकर आपसी सहयोग का महत्व बताया। महापुरुषों पर आधारित श्रेणी में आयुषी ने महाराणा प्रताप के त्याग और साहस को अपनी कथा के माध्यम से अभिव्यक्त किया, जबकि मयंक ने पृथ्वीराज चौहान के शौर्य को कहानी रूप में प्रस्तुत किया। इसी तरह अन्य प्रतिभागियों ने चाणक्य और पन्नाधाय जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्वों पर स्वयं की रचनाएँ सुनाईं। कार्यक्रम में विशेष रूप से कोटा के प्रसिद्ध बाल साहित्य सृजक विष्णु हरिहर ने बच्चों को “सूरज टोपीवाला” कहानी सुनाते हुए बताया कि कहानी लिखते समय घटनाओं का चयन, पात्रों का निर्माण और कल्पनाशक्ति का प्रयोग कैसे किया जाए। समापन सत्र में अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रदेश संगठन मंत्री विपिनचंद्र ने कहा कि — “कहानियों के माध्यम से संवेदना, ज्ञान और प्रेरणा जैसे अनेक गुणों का विकास होता है। बच्चों में ऐसी गतिविधियाँ सृजनशीलता को पोषित करती हैं।”

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