24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। नगर निगम परिसीमन को लेकर शहर से सटे गांवों में विरोध की लहर फैलती जा रही है। गुरुवार को ग्राम पंचायत बलीचा के सैकड़ों ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर नगर निगम में शामिल करने के प्रस्ताव का विरोध किया और पंचायत को यथावत बनाए रखने की मांग की।
ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि नगर निगम में शामिल करने से पहले न ग्रामसभा की अनुमति ली गई, न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों से राय मशविरा किया गया। ग्रामीणों का कहना है कि बलीचा राजस्व ग्राम वर्तमान में टीएसपी (अनुसूचित क्षेत्र) श्रेणी में आता है, जिससे यहां के कई युवा प्रतियोगी परीक्षाओं में लाभ पाते रहे हैं। यदि यह क्षेत्र नगर निगम में शामिल हो गया तो टीएसपी का दर्जा समाप्त होने का खतरा उत्पन्न हो जाएगा, जिससे समाज के वंचित तबके पर सीधा असर पड़ेगा।
ग्रामीणों ने आशंका जताई कि निगम क्षेत्र में आने से घरों और दुकानों पर अतिरिक्त टैक्स का भार पड़ेगा, जिससे गरीब, किसान, मजदूर, एससी-एसटी और ओबीसी वर्गों को आर्थिक व मानसिक तनाव का सामना करना पड़ेगा। साथ ही, निगम प्रणाली लागू होने से स्थानीय प्रशासनिक कार्यों के लिए 15 किलोमीटर दूर शहर आना पड़ेगा, जिससे समय, श्रम और संसाधनों की अनावश्यक बर्बादी होगी।
ग्रामीणों ने यह भी कहा कि नगर निगम की सीमाएं संस्कृति, रहन-सहन और गांव की सामाजिक संरचना से मेल नहीं खातीं। निगम प्रणाली लागू होने से ’इंस्पेक्टर राज’ जैसी व्यवस्था ग्रामीण जीवन को प्रभावित करेगी और परंपरागत पंचायत स्वायत्तता को खतरा उत्पन्न होगा। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं, बुजुर्ग, किसान और युवा शामिल हुए, जिन्होंने एक स्वर में मांग की कि ग्राम पंचायत बलीचा को नगर निगम से अलग रखा जाए और उसकी वर्तमान पंचायत स्थिति को बरकरार रखा जाए।
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