24 News Update उदयपुर। “शिक्षा केवल ज्ञान का माध्यम नहीं, बल्कि समाज, संस्कृति और मूल्यपरक जीवन का आधार है। शिक्षा व्यक्ति को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाती है और सामाजिक समरसता व राष्ट्रीय विकास का पथ प्रशस्त करती है।” यह विचार एनसीटीई (नई दिल्ली) के अध्यक्ष प्रो. पंकज अरोड़ा ने बुधवार को राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में आयोजित सम्मान समारोह में व्यक्त किए। मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए प्रो. अरोड़ा ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से समाज को समझना और उसी समझ के आधार पर शोध व व्यवसाय का चयन करना ही स्व-विकास और राष्ट्र उन्नति का मार्ग है। उन्होंने कहा कि शिक्षा हमे सामुदायिक सरोकारों और मानवीय मूल्यों से जोड़ती है। प्रो. अरोड़ा ने राजस्थान विद्यापीठ के समाजोन्मुखी दृष्टिकोण और शिक्षा के मानवीय स्वरूप को प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता की सराहना की। समारोह से पूर्व प्रो. अरोड़ा ने एग्रीकल्चर महाविद्यालय का अवलोकन किया और संस्थान द्वारा वंचित वर्ग के हित में किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की। स्वागत उद्बोधन में कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि विद्यापीठ समग्र विकास, समाज की उन्नति और राष्ट्र निर्माण के लिए निरंतर कार्यरत है। उन्होंने कहा कि सामुदायिक सेवा, कौशल विकास और सामाजिक सरोकार ही संस्थान का मूल मंत्र हैं। उन्होंने शिक्षकों और विद्यार्थियों से नवाचार और समर्पण के माध्यम से सफलता के नए आयाम स्थापित करने का आह्वान किया। कार्यक्रम में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रो. पंकज अरोड़ा का माला, उपरणा, स्मृति चिन्ह और अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मान किया गया। इसी अवसर पर डॉ. बलिदान जैन एवं डॉ. अनीता कोठारी द्वारा सह-लेखित पुस्तक “समसामयिक भारत और शिक्षा” का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। इस मौके पर डीन प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. मुकुंद झा, निर्मल अरोड़ा, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. रचना राठौड़, डॉ. अमी राठौर, डॉ. भूरालाल श्रीमाली, डॉ. सुनीता मुंडिया सहित अकादमिक एवं गैर-अकादमिक स्टाफ उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरीश चौबीसा ने किया तथा आभार अधिष्ठाता प्रो. सरोज गर्ग ने व्यक्त किया।
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