
24 news update राजसमंद। मेवाड़ के प्रसिद्ध चारभुजा नाथ मंदिर में बुधवार को जलझूलनी एकादशी का भव्य मेला धार्मिक आस्था और उत्साह का केंद्र बना रहा। चारभुजा गांव और आसपास का पूरा क्षेत्र श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहा। मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र समेत देश के विभिन्न हिस्सों से हजारों श्रद्धालु पैदल यात्रा कर यहां पहुंचे। सुबह से ही गांव की गलियों में हर-हर के जयकारे गूंजते रहे।
सुबह मंगला झांकी के साथ ठाकुरजी के दर्शन शुरू हुए। ठाकुरजी को सोने के घड़े से स्नान करवाया गया और हीरे-मोती से जड़े आभूषणों और कीमती वस्त्रों से विशेष शृंगार किया गया। यह शृंगार साल में केवल दो बार होता है, इसलिए भक्तों में इसे देखने का विशेष उत्साह रहा। मंदिर परिसर को फूलों और रोशनी से सजाया गया था, जिससे पूरा वातावरण भक्ति और उल्लास से सराबोर हो गया।
ठाकुरजी की शाही शोभायात्रा और गुलाल-अबीर से रंगी गलियां
दिन का मुख्य आकर्षण ठाकुरजी की शाही शोभायात्रा रही। ठाकुरजी को सोने के बेवाण में विराजित कर शाही लवाजमे के साथ दूध तलाई तक नगर भ्रमण के लिए निकाला गया। भक्तों ने जगह-जगह गुलाल उड़ाकर और फूल बरसाकर ठाकुरजी का स्वागत किया। मंदिर से लेकर दूध तलाई तक गलियां श्रद्धालुओं से खचाखच भर गईं। भीड़ इतनी अधिक थी कि पैर रखने तक की जगह नहीं थी। कई श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन के लिए मकानों की छतों पर चढ़ गए और ‘जय चारभुजा नाथ’ के नारे लगाए।
राजसमंद के चारभुजा में ठाकुरजी को पहाड़ पर स्थित छतरी से सरोवर तक लाया गया, जहां केवड़े के पत्तों से उनका अभिषेक किया गया। इस दौरान पुजारी परिवार की ओर से परंपरागत दूसरी परिक्रमा भी सम्पन्न कराई गई।
लाखों भक्तों का जमावड़ा, प्रशासनिक व्यवस्थाएं सख्त
हर साल की तरह इस वर्ष भी एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान था, जो बुधवार को सच साबित हुआ। इस भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने विशेष प्रबंध किए। सूरजपोल की ओर बैरिकेड्स लगाए गए, प्रवेश के लिए अलग द्वार और निकासी के लिए मुख्य दरवाजे का उपयोग किया गया। पुलिस बल, मेडिकल टीमें और एंबुलेंस सेवाएं मेले के दौरान हर जगह सक्रिय रहीं।
मंदिर समिति और स्थानीय निवासियों ने श्रद्धालुओं के लिए जलपान और छबील का प्रबंध किया। पैदल यात्रा कर आने वाले यात्रियों के लिए विशेष विश्राम स्थलों की भी व्यवस्था रही। चारभुजा मंदिर का यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा देता है। हर साल जलझूलनी एकादशी पर गांव में लगने वाले मेले से स्थानीय व्यापारियों, दुकानदारों और होटल संचालकों को अच्छा लाभ होता है। ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार, चारभुजा नाथ मंदिर को महाभारत काल से जुड़ा हुआ माना जाता है और यह मेवाड़ का एक प्रमुख वैष्णव तीर्थ है।
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