24 News Update वेलिंगटन। न्यूजीलैंड की संसद में उस वक्त सनसनी फैल गई जब एक महिला सांसद ने एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए संसद के पटल पर अपनी एक डीपफेक न्यूड तस्वीर प्रस्तुत की। सांसद ने यह कदम समाज में बढ़ते डीपफेक खतरों और महिलाओं की ऑनलाइन निजता पर हो रहे हमलों के विरोध में उठाया। सांसद ने संसद में खड़े होकर कहा, “यह तस्वीर मेरी नहीं है, लेकिन यह इंटरनेट पर वायरल हो रही है और इसे मेरी छवि को धूमिल करने के लिए बनाया गया है। यह केवल मेरी नहीं, हर उस महिला की लड़ाई है जिसकी पहचान और गरिमा को तकनीक के ज़रिये कुचला जा रहा है।” उन्होंने बताया कि यह डीपफेक फ़ोटो सोशल मीडिया पर तेजी से फैली, जिससे उन्हें मानसिक आघात पहुंचा और उनका पारिवारिक जीवन भी प्रभावित हुआ। उन्होंने यह मुद्दा संसद में उठाते हुए सरकार से मांग की कि डीपफेक टेक्नोलॉजी और डिजिटल उत्पीड़न के खिलाफ कठोर कानून बनाए जाएं।
सांसद ने कहा, “हमारी पहचान, हमारी छवि और हमारी गरिमा किसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या तकनीकी शरारत के हाथों खिलौना नहीं बननी चाहिए। ये केवल तस्वीर नहीं है—यह एक हमला है, एक अपमान है, और इससे निपटना अब जरूरी हो गया है।” इस कदम के बाद संसद में गहन बहस छिड़ गई। कुछ सांसदों ने इसे “बहादुरी भरा कदम” बताते हुए समर्थन दिया, वहीं कुछ ने संसद में ऐसी तस्वीर दिखाने को “मर्यादा भंग” भी कहा। न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर महिलाओं के खिलाफ हो रहे इस तरह के हमलों को गंभीरता से ले रहे हैं। डिजिटल सुरक्षा कानूनों को और अधिक सख्त बनाया जाएगा।” डीपफेक तकनीक के ज़रिये किसी भी व्यक्ति की तस्वीर या वीडियो को नकली तरीके से तैयार करना अब आसान हो गया है, और इसका इस्तेमाल बदनाम करने, ब्लैकमेल करने या अफवाहें फैलाने के लिए किया जा रहा है। विशेष रूप से महिलाओं को इसका अधिक शिकार बनाया जा रहा है। न्यूज़ीलैंड की इस सांसद का साहसिक कदम न केवल डीपफेक के खिलाफ एक चेतावनी है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए यह संदेश है कि डिजिटल स्पेस में महिलाओं की सुरक्षा अब प्राथमिकता होनी चाहिए। यह घटना आने वाले दिनों में तकनीक और नैतिकता के बीच होने वाली बहस को और गहरा कर सकती है।
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