24 News Update उदयपुर। जनजातीय क्षेत्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान विद्यापीठ के संघटक विधि महाविद्यालय की ओर से “उद्देशिका संविधान का सार है” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन महाविद्यालय सभागार में किया गया। सेमिनार का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर व दीप प्रज्वलित कर अतिथियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में विभागाध्यक्ष प्रो. कला मुणेत ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सेमिनार के उद्देश्य, उसकी वर्तमान प्रासंगिकता तथा संविधान की उद्देशिका की भूमिका पर अपने विचार रखे। कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भारतीय संविधान की उद्देशिका केवल औपचारिक प्रस्तावना नहीं, बल्कि सम्पूर्ण संविधान की आत्मा है। इसका मूल भाव मानवता है – एक ऐसी भावना जिसमें मनुष्य ही नहीं, सम्पूर्ण प्राणी जगत के कल्याण की संकल्पना निहित है। उन्होंने कहा कि यह प्रस्तावना न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व पर आधारित है और “संपूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य” के सिद्धांत ही भारतीय गणराज्य के संचालन का आधार हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान केवल एक राजनीतिक दस्तावेज नहीं, अपितु यह भारतीय समाज की सांस्कृतिक और नैतिक रचना का मार्गदर्शक ग्रंथ है। इसकी उद्देशिका को उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता के समकक्ष बताया, जिसमें भारत के लोकतंत्र की आत्मा निवास करती है।
मुख्य वक्ता के रूप में उदयपुर बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता राव रतन सिंह ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। उन्होंने कहा कि संविधान देश में विधि का शासन स्थापित करता है, जो नागरिकों को न्याय, समानता और स्वतंत्रता जैसे मूल अधिकार प्रदान करता है। उन्होंने संविधान की उद्देशिका को भारतीय लोकतंत्र का आधार बताया और उसके प्रत्येक घटक की विस्तृत व्याख्या की। राव ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे संविधान के प्रति निष्ठा रखें और अपने संवैधानिक कर्तव्यों का समुचित निर्वहन करें।
सेमिनार में वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. कृष्ण किशोर त्रिवेदी, डॉ. प्रतीक जांगिड़, डॉ. विनीता व्यास, डॉ. छत्रपाल सिंह, डॉ. अंजू कावडिया, शबनम तोबवाला और पुष्पा लौहार ने भी संविधान के विभिन्न पहलुओं पर विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मीता चौधरी ने किया और आभार डॉ. सुरेन्द्र सिंह चुंडावत ने व्यक्त किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के डीन, डायरेक्टर्स, विद्यार्थी एवं शोधार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
उद्देशिका संविधान का सार है” विषयक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन, प्रो. सारंगदेवोत बोले – संविधान की आत्मा है मानवता और समग्र कल्याण की भावना

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