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नरक निगम : कब तक चलेगा अतिक्रमण हटाने का गोरखधंधा, AC चेम्बर से बाहर नहीं आते अफसर, मिलीभगत से बार-बार हो जाते अतिक्रमण, जनता के टेक्स के पैसों को लगा रहे चूना

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उदयपुर। नगर निगम को लोग यूं ही नगक निगम नहीं कहते। यहां पर अफसर एसी चेम्बरों से बाहर ही नहीं आते। छोटे से उदयपुर शहर और चार पांच किलोमीटर के दायरे में भी अतिक्रमण हो जाते हैं। इनके मातहत कर्मचारी बरसों या महीनों तक मजे करते हैं। फोकट की तनख्वाह उठाते हैं और अचानक साल में एकाध बार अतिक्रमण हटाओ अभियान पर निकल पड़ते हैं। पिछले 25 सालों के अखबार उठाकर देख लीजिए, अब यह सुनियोजित गोरखधंधा बन चुका है, जमकर जनता के टेक्स के पैसों का चूना लग रहा है। निगम के अफसरों की आंखें तब बंद हो जाती है जब ये अतिक्रमण हो रहे होते हैं। लोग हजारों का खर्चा करके टिनशेड से लेकर टाइलें तक लगा लेते हे। फिर अचानक साल दो साल बाद इनको ध्वस्त करने अमला आ धमकता है। तो वो अमला जिसके जिम्मे यह सब नहीं होने देना है उसको सबसे पहले सस्पेंड किया जाना चाहिए, चार्जशीट आयुक्त तक को मिलनी चिहए कि उनके होते यह हो कैसे गया। एक दिन में ना तो शेड लगता है ना टाइलें लगती है ना अतिक्रमण होते हैं। मिलीभगत निगम के कर्मचारियों की भी है, वे भी पैसा जमकर कूट रहे हैं। और आखिर में आयुक्त साहब के आदेश पर कार्रवाई करके सीना फुला कर खबरें छपवाने का खेल खेलते हैं।


आज प्रताप नगर क्षेत्र में एक बार फिर कार्रवाई को अंजाम देते हुए अतिक्रमण को ध्वस्त किया गया। नगर निगम आयुक्त अभिषेक खन्ना ने बताया कि राज्य सरकार से प्राप्त निर्देशों की पालना में सूरजपोल चौराहा से लेकर प्रताप नगर ओर पुराने आरटीओ ऑफिस मार्ग तक अतिक्रमण हटाने की बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया। याने अब अतिक्रमण हटाने के लिए भी सरकारी आदेश की जरूरत होती है। नगर निगम दस्ते ने पुलिस निरीक्षक मांगीलाल डांगी के नेतृत्व में टीम द्वारा अतिक्रमण को ध्वस्त कर मार्ग को चौड़ा किया गया।
रोड के किनारे पर रखे केबिन को हटाया गया। कई लोगों द्वारा टीन शेड बनाकर पक्के निर्माण भी किए गए थे उसको भी हटाया गया, केबिन लगाकर मार्ग को अवरुद्ध किया गया था उनको भी हटाया गया जिससे अभी पूरा स्थान खुला खुला नजर आ रहा है। पक्के केबिन किन के कार्यकाल में बन गए उनको कब चार्जशीट दी जाएगी इस पर आयुक्त साहब मौन हैं। शायद कभी कार्रवाई नहीं होगी उन पर।

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