बीकानेर / नई दिल्ली। ये मजाक है हम भारतीयों के साथ। एक तरफ रूस के राष्ट्रपति का स्वागत हो रहा है दूसरी तरफ युक्रेन युद्ध की जंग में भारतीयों को धोखे से भेज कर मौत के घाट उतारा जा रहा है। यह असहनीय है व खून खौलने वाला है। सरकारें चाहें जिस मजबूरी से खामोश रहें, आम आदमी चुप नहीं रह सकता ना इसे सहन कर सकता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध ने एक और भारतीय युवा की जान ले ली। बीकानेर जिले के अर्जुनसर निवासी 22 वर्षीय अजय गोदारा की रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में मौत हो गई। अजय पढ़ाई के नाम पर रूस गया था, लेकिन उसे जबरन युद्ध में झोंक दिया गया। यह सिर्फ एक मौत नहीं, बल्कि एक भारतीय युवा के सपनों की निर्मम हत्या है, जिसकी सीधी जिम्मेदारी रूस पर तय होती है।
अजय गोदारा ने मरने से पहले जो वीडियो बनाए, वे आज रूस के झूठ और धोखे की सबसे बड़ी गवाही हैं। वीडियो में अजय साफ कहता नजर आता है— “अगर कल से मेरा फोन नहीं आए, तो समझ लेना हमारी मौत हो गई है।” तीन महीने बाद वही डरावनी आशंका सच साबित हुई।
पढ़ाई के नाम पर बुलाया, युद्ध में धकेल दिया
अजय नवंबर 2024 में मॉस्को गया था। उसने वहां लैंग्वेज कोर्स में एडमिशन लिया था। लेकिन कुछ ही समय बाद रूसी प्रशासन ने उसे और अन्य भारतीय युवकों को “ट्रेनिंग” के नाम पर सैन्य शिविरों में भेज दिया। अजय ने वीडियो में खुलासा किया कि तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद उन्हें सीधे युद्ध क्षेत्र में उतार दिया गया।
जब भारतीय युवकों ने युद्ध में जाने से मना किया, तो रूसी सेना ने दो टूक कह दिया— “आप यूक्रेन की जमीन पर हैं, यहां कोई सुनने वाला नहीं है। परिवार से आखिरी बात कर लो।” यह बयान अपने आप में रूस की बर्बर मानसिकता और मानवाधिकारों की खुलेआम हत्या का प्रमाण है।
मिसाइल, हवाई फायर और मौत का साया
अजय ने दूसरे वीडियो में बताया कि उनके ऊपर मिसाइलें दागी गईं, हवाई फायर हुआ। चार लोगों में से एक वहीं मारा गया, दो भाग निकले और अजय रास्ता भटक गया। आठ दिन बाद उसे ढूंढकर फिर से रूसी सेना के हवाले कर दिया गया।
अजय ने साफ कहा— “हमारे साथ धोखा हुआ है।”

10 दिसंबर को आई मौत की खबर
परिवार को 10 दिसंबर को रूस से फोन आया कि अजय की मौत हो चुकी है और शव भारत भेजा जाएगा। इससे पहले परिवार बेटे को बचाने के लिए लगातार प्रयास करता रहा। केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल से भी संपर्क किया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
शव की हालत ने बढ़ाया आक्रोश
बुधवार को अजय का शव दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचा, जहां से परिवार उसे गांव लेकर आया। लेकिन शव की हालत ने परिवार और गांव वालों को झकझोर कर रख दिया। परिजनों का कहना है कि शव पूरी तरह सड़ चुका था, चेहरे तक को ठीक से दिखाया नहीं गया।
मौत कब और कैसे हुई—इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। यह लापरवाही नहीं, बल्कि अमानवीय व्यवहार का जीता-जागता सबूत है।
गांव में गूंजा गुस्सा, उठे सवाल
गांव में अंतिम संस्कार के दौरान हर आंख नम थी, लेकिन आक्रोश उससे भी बड़ा था। सवाल सीधा है—
क्या रूस भारत के युवाओं को पढ़ाई के बहाने बुलाकर युद्ध में झोंक रहा है? क्या अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकार रूस के लिए कोई मायने नहीं रखते? अजय गोदारा की मौत एक चेतावनी है। यह मामला सिर्फ एक परिवार का दर्द नहीं, बल्कि भारत की विदेश नीति, युवाओं की सुरक्षा और रूस की जवाबदेही से जुड़ा गंभीर मुद्दा है। अब देश जानना चाहता है— रूस इस मौत की जिम्मेदारी कब लेगा? और भारत सरकार कब अपने युवाओं के लिए कड़ा रुख अपनाएगी?
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.