- सांसद ने कहा: मेले में दर्शनार्थी दर्शन के लिए आ रहे हैं, घूमने के लिए नहीं
24 News Update उदयपुर। सांसद डॉ मन्नालाल रावत ने सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य में स्थित सीतामाता मंदिर के मेेले में जाने वाले दर्शनार्थियों से वन विभाग द्वारा शुल्क वसूलने पर नाराजगी जाहिर की है और इस संबंध में जिला कलेक्टर प्रतापगढ से बात कर इस व्यवस्था में बदलाव के लिए कहा है।
सांसद डॉ रावत ने बताया कि धरियावद उपखंड में सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य में क्षेत्र की लोकदेवी सीतामाता मंदिर स्थित है जो अति प्राचीन है और रामायण काल से इसका संदर्भ जुडा है। यहां मां सीताजी का मंदिर होने के साथ ही लवकुश जन्म भूमि, ठंडे व गर्म जल कुंड और फटी हुई धरती जहां मान्यता है कि यहां सीतामाता धरती में समाई थी, हनुमान जी को बरगद से बांधने ऐसे दुलर्भ दर्शन स्थल है। यहां चार दिवसीय मेला रविवार से प्रारंभ हुआ है, जहां हजारों की संख्या में दर्शनार्थी 15 दिन पूर्व से मेले में आ रहे हैं। सांसद डॉ रावत ने कहा कि इन दर्शनार्थियों से वन विभाग प्रति व्यक्ति 145 रुपए और छात्र होने पर 55 रुपए तथा वाहन के अलग से 330 रुपए तक राशि वसूल रहा है। श्री रावत ने कहा कि मंदिर के मेले में आने वाले दर्शनार्थियों से इस प्रकार का शुल्क वसूलना अनुचित है और इस पर तुरंत प्रभाव से रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मेले में आसपास के आदिवासी हजारों की संख्या में इस मेले में आते हैं और उनके लिए इतनी बडी राशि मेले में प्रवेश के नाम पर देना असंभव है। चार दिवसीय इस मेले में लोग मां सीता के दर्शन के लिए आ रहे हैं, अभयारण्य में घूमने के लिए नहीं आ रहे हैं इसलिए इस प्रकार के शुल्क का कोई ओचित्य नहीं है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की ओर से अभयारण्यों में शुल्क संबंधी जो सूची जारी की गई है उसमें भी सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य का उल्लेख नहीं है। सांसद डॉ रावत ने इस संबंध में जिला कलेक्टर प्रतापगढ से फोन पर बात कर शुल्क संबंधी व्यवस्थाओं में बदलाव के लिए कहा है।
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