24 News Update चित्तौड़गढ़। चित्तौड़गढ़ जिले के भदेसर क्षेत्र के धीरजी का खेड़ा गांव में एक अनोखा और भावुक दृश्य सामने आया, जब सैकड़ों लोग एक बंदर के अंतिम संस्कार में शामिल हुए। लोगों का विश्वास था कि यह बंदर हनुमानजी का स्वरूप था। उसकी मृत्यु के बाद 7 सितंबर को पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई।
ग्रामीण बताते हैं कि यह बंदर पिछले दो साल से खाकल देवजी के मंदिर में रहता था और कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। उसने धीरे-धीरे सबका प्रिय बनकर गांव वालों के दिल में अपनी खास जगह बना ली थी। रोजाना मंदिर में आकर आरती में भाग लेता और लोगों के साथ शांति से समय बिताता था।
जब इसकी मृत्यु हुई, तो ग्रामीणों ने इसे पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों के साथ अंतिम विदाई देने का निर्णय लिया। बंदर की अर्थी ढोल-ताशों के साथ निकाली गई। पूरे गांव के लोग भावुकता के साथ उसके अंतिम दर्शनों के लिए एकत्रित हुए।
विशेष रूप से 11 हनुमान भक्तों ने इस बंदर का मुंडन संस्कार भी किया। इसके साथ ही पिंडदान की परंपरा भी पूरी की गई, जैसे किसी इंसान के अंतिम संस्कार में होती है। बंदर का अंतिम संस्कार उसी मंदिर के सामने वैदिक मंत्रों के साथ विधिपूर्वक संपन्न किया गया।
अस्थियां 8 सितंबर को मातृकुंडिया में विसर्जित की गईं। इसके बाद गांव में पगड़ी की रस्म भी संपन्न की गई और भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 900 लोग शामिल हुए। हर घर को निमंत्रण दिया गया था।
लोगों ने कहा कि , “यह बंदर हमारे परिवार का सदस्य बन गया था। उसका शांत और स्नेही व्यवहार सबका प्रिय बन गया था। उसकी विदाई हम सबके लिए अत्यंत दुखद और भावुक पल थी।“
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