24 News update जयपुर, 18 अगस्त। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने आज पटवारी भर्ती परीक्षा में प्रतिभागियों की सामान्य ज्ञान के साथ-साथ “सिस्टम ज्ञान” की भी गहरी परख कर डाली। पटवारी भर्ती प्रश्नपत्र में शामिल एक सवाल ने परीक्षा केंद्रों के भीतर थोड़ी देर के लिए ठहाके और आत्मग्लानि, दोनों की मिश्रित अनुभूति पैदा कर दी।
प्रश्न संख्या-17 में पूछा गया : “जो लोग रिश्वतखोरी के खिलाफ बहुत ज़्यादा बोलते हैं, ये वे लोग हैं जिन्होंने खुद रिश्वत ली है।”

इसके नीचे दो निष्कर्ष दिए गए थे और परीक्षार्थियों से पूछा गया था कि इनमें से कौन-सा निष्कर्ष सही है।

कथन पढ़ते ही कई परीक्षार्थियों ने पहले तो प्रश्नपत्र को ध्यान से देखा कि कहीं यह किसी न्यूज चैनल से कॉपी तो नहीं किया गया। कुछ तो यह सोचकर मुस्करा उठे कि “लगता है पेपर सेट करने वाले भी किसी तहसील के चक्कर लगाकर आए हैं।”

सवाल का विश्लेषण :
इस कथन का अर्थ यह है कि जो लोग रिश्वतखोरी के सबसे बड़े विरोधी प्रतीत होते हैं, वास्तव में वही लोग पहले स्वयं इस ‘महान परंपरा’ का पालन कर चुके होते हैं।
निष्कर्ष – I “सभी लोग भ्रष्‍ट हैं” — गलत
निष्कर्ष – II “कहना जितना आसान है, करना उतना आसान नहीं है” — सही।

📌 सही उत्तर : (B) केवल निष्कर्ष II अनुसरण करता है

राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने बदलते वक्त के साथ तालमेल बिठाते हुए अब “व्यावहारिक जीवन ज्ञान” भी प्रश्नपत्रों में शामिल करना शुरू कर दिया है। प्रशासनिक अनुभव और जमीनी सचाई को मिलाकर तैयार किए गए इन प्रश्नों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अभ्यर्थी न केवल नक्शा-पैमाइश में दक्ष हों, बल्कि “भ्रष्टाचार की वास्तविक फिलॉसफी” को भी समझ सकें।

परीक्षा के बाद छात्रों से बातचीत में एक अभ्यर्थी ने कहा –
“यह प्रश्न पढ़ते ही ऐसा लगा जैसे बोर्ड सबसे पहले यह सुनिश्चित करना चाहता है कि भविष्य के पटवारियों का नैतिक स्तर वर्तमान पटवारियों के बराबर हो।”
एक अन्य उम्मीदवार ने कहा – “अब अगला प्रश्न शायद यह होगा कि ‘रिश्वत लेते समय नोट को दाहिने हाथ से लेना उचित है या बाएँ हाथ से?’— उत्तर विकल्पों में ‘आदर्श आचरण’ और ‘लोक व्यवहार’ भी दिए जाएँगे।”
बताया जा रहा है कि अगर यही सिलसिला चलता रहा, तो भविष्य की परीक्षाओं में निम्न प्रकार के सवाल शामिल किए जा सकते हैं:

(i) “रूटीन फैरबदल में किस अधिकारी के पास सबसे ज्यादा ‘मौका’ होता है?”
(ii) “नक्शा पास कराने की औसत प्रतीक्षा अवधि तब कितनी कम हो जाती है, जब कोई खास बीच का व्यक्ति साथ हो?”

“कम से कम यह तो स्वीकार करना पड़ेगा कि बोर्ड ईमानदारी से भ्रष्टाचार की सच्चाई को पाठ्यक्रम में शामिल कर रहा है, ताकि अभ्यर्थी नौकरी लगते ही ‘सिस्टम शॉक’ से ग्रस्त न हों।”
माना जा रहा है कि अगर ऐसे ही प्रश्न पूछे जाते रहे, तो आने वाले समय में ‘सर्टिफाइड भ्रष्टाचार व्यवहार एवं प्रबंधन’ नामक डिप्लोमा कोर्स भी प्रारंभ किया जा सकता है—जिसमें
पेपर-1 : ‘रिश्वत लेने की कला’
पेपर-2 : ‘पकड़े जाने पर भावुक स्पष्टीकरण’
और
पेपर-3 : ‘एसीबी से बचाव तकनीक’
जैसे विषय पढ़ाए जा सकते हैं।


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By desk 24newsupdate

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