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MLSU गुरूर का सुरूर: फायर नोटिस को ‘फ्लोवर नोटिस’ समझ बैठे, अब ताले लगने की आ गई नौबत

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24 News update udaipur

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही अब कॉलेज पर ताले डलवाने की कगार पर पहुँच गई है। नगर निगम उदयपुर के अग्निशमन विभाग ने विश्वविद्यालय को 28 अप्रैल 2025 को फायर सेफ्टी मापदंडों की अनुपालना को लेकर जो नोटिस भेजा था, उसे एमएलएसयू प्रशासन ने जैसे कोई सजावट का आमंत्रण पत्र समझ लिया। न नज़र डाली, न कार्रवाई की। परिणामस्वरूप अब स्थिति यह है कि नगर निगम ने परिसर को सील करने की चेतावनी दे दी है।

परीक्षा के दौरान लगी आग, कॉलेज में नहीं थे अग्निशमन यंत्र

एमएलएसयू की लापरवाही का खामियाजा हाल ही में छात्रों को भुगतना पड़ा जब शुक्रवार को आर्ट्स कॉलेज के विद्युत मीटर में अचानक आग लग गई। घटना उस समय हुई जब शाम 3 से 6 बजे की परीक्षा पारी चल रही थी। करीब एक हजार विद्यार्थी परीक्षा में बैठे हुए थे। आग फैलती उससे पहले ही विश्वविद्यालय कर्मचारियों ने बिजली का कनेक्शन काटकर हालात संभाले। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि कॉलेज में एक भी अग्निशमन यंत्र (एक्सटिंगुइशर) मौजूद नहीं था, और डीजी सेट भी काम नहीं कर रहा था, जिससे पूरे कॉलेज को अंधेरे में परीक्षा करानी पड़ी।

सूत्रों के अनुसार, आर्ट्स कॉलेज विश्वविद्यालय का सबसे बड़ा कॉलेज है, इसके बावजूद फायर सेफ्टी को लेकर ज़ीरो तैयारी है। इस हालिया घटना ने फायर विभाग द्वारा पहले से भेजे गए नोटिस की गंभीरता को और पुष्ट कर दिया है।

15 दिन में नहीं सुधरे तो लग सकता है ताला

फायर विभाग के ताज़ा नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि यदि MLSU 15 दिन में अग्निशमन मापदंडों के अनुरूप उपकरण नहीं लगाए गए और Fire NOC प्राप्त नहीं की गई, तो राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 294(7)(एफ) के अंतर्गत परिसर को सीज किया जा सकता है। जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।

विश्वविद्यालय के ‘गुरूर’ की बड़ी कीमत?

फायर नोटिस जैसे गंभीर विषय पर विश्वविद्यालय का यह ढुलमुल रवैया शिक्षा से अधिक प्रशासनिक अहंकार का परिचायक बनता दिख रहा है। हज़ारों विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन की चुप्पी न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि कानूनन दंडनीय भी है।

क्या छात्रसंघ या फैकल्टी आवाज़ उठाएंगे?

अब सवाल यह है कि जब मामला कॉलेज पर ताले की नौबत तक पहुँच गया है, तब क्या शिक्षक, छात्रसंघ या छात्र संगठन इस पर आवाज़ उठाएंगे? या यह लापरवाही अगली बार किसी बड़ी दुर्घटना के बाद ही सुधरेगी?

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