24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। किसी का ईगो हर्ट हो जाए तो उसके क्या कान्सिक्वेसेज होते हैं यह जानना हो तो एमएलएसयू चले जाइये। पांचवें दिन भी एसएफएबी कर्मचारियों की हड़ताल जारी रही। इधर, एडमिशन, काउंसिल का व्यस्त समय है तो उधर 300 कर्मठ व हमेशा विश्वविद्यालय के लिए न्योछावर होने वाले कर्मवरी हड़ताल पर बैठे है।ं उलझन सुलझ नहीं रही है, रास्ता सूझ नहीं रहा है तो अब प्रशासन की ओर से वे सभी आजमाये हुए टूल्स कम में लेने का सिलसिला शुरू हो गया है जो अक्स हड़ताल के दौरान काम में लिए जाते हैं। याने कि टर्मिनेशन की चेतावनी, नो वर्क नो पे की चेतावनी। और इससे पहले नोटिस देकर साइकॉलोजिकल टेस्ट। ये सब हो रहा है व इस बीच कर्मचारी डटे हुए हैं। लगातार पाचवें दिन भी प्रशासनिक भवन में जब हड़ताल को जुटे तो अंदर से आदेश पुलिस के माध्यम से भिजवाया गया कि आज प्रशासनिक भवन में नहीं बैठ सकेंगे। इस पर कर्मचारी शांतिपूर्वक बाहर बैठे। बाहर फर्श बारिश से गीला था व उपर से बूंदे बरस रही थी मगर कर्मचारियों ने हौसला नहीं खोया व शाम तक यूं ही प्रदर्शन करते रहे। इस बीच कॉलेजों में व्यवस्थाओं पर गहरा असर हुआ है व डीन डायरेक्टर्स की चिंता बढ़ती जा रही है। एक तरफ उन पर उपरी दबाव है तो दूसरी तरफ कर्मचारियों की कमी से सिस्टम में दौड़ रही सिहरन महसूस की जा रही है। शाम को जब वीसी अपने चेम्बर से बाहर आकर मुख्य प्रवेश द्वार से बाहर आईं तो महिला कर्मचारियों ने मोर्चा संभालते हुए नारेबाजी की। इस पर वीसी के वाहन को दूसरे रास्ते से भेजा गया। आपको बता दें कि मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में कार्यरत स्ववित्तपोषित सलाहकार बोर्ड के अंतर्गत नियुक्त संविदा कर्मचारी अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर आज पांचवें दिन भी शांतिपूर्ण धरने पर बैठे रहे। इस बीच, विश्वविद्यालय प्रशासन और कर्मचारियों के बीच टकराव और अधिक बढ़ता दिखाई दिया।
प्रशासनिक भवन से निकाला, पुलिस बुलाकर हटवाया
कर्मचारियों ने बताया कि वे प्रशासनिक भवन के पोर्च में शांतिपूर्वक बैठे थे, लेकिन कुलपति महोदय के निर्देश पर पुलिस को बुलाकर सभी को बाहर सड़क पर बैठने को मजबूर किया गया। बरसात के बीच जब रोड गीली हो गई तो कर्मचारियों ने दरी की मांग की, जिसे प्रशासन ने देने से मना कर दिया। इसके बावजूद कर्मचारियों ने गीली सड़क पर बैठकर विरोध जारी रखा। उन्होंने आरोप लगाया कि कर्मचारियों की आवाज़ दबाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगों पर संज्ञान नहीं लिया जाता।
अकादमिक सेवाएं ठप, विद्यार्थी परेशान
कर्मचारियों के आंदोलन के कारण विश्वविद्यालय की प्रशासनिक और अकादमिक सेवाएं लगभग ठप हो चुकी हैं। दूर-दराज, विशेषकर आदिवासी अंचलों से आए विद्यार्थी दिनभर मार्कशीट, डिग्री व काउंसलिंग कार्यों के लिए भटकते रहे। किसी अधिष्ठाता या निदेशक ने कर्मचारियों से वार्ता तक नहीं की।
प्रशासन की ओर से सख्त चेतावनी
वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब अपने ताजा आदेश को ही हड़ताल समाप्त करने का माध्यम बना लिया है। विवि प्रशासन की ओर से कर्मचारियों की सेवा से संबंधित आदेश जारी नहीं करने पर हड़ताल शुरू हुई थी। इस बीच दबाव में आकर प्रशासन ने तीन महीने के एक्सटेंशन का आदेश जारी किया मगर वित्तीय स्वीकृति नहीं जारी की। उसके बाद उसे उम्मीद थी कि फिलहाल तो हड़ताल टूट जाएगी। मगर ईगो प्राब्लम से खफा कर्मचारियों ने भी अबकी बार साफ कर दिया कि पांच सूत्री मांगों को नहीं मानने तक वे नहीं मानने वाले।
विवि प्रशासन के ताजा नोटिस में हड़ताल को अनुशासनहीनता मानते हुए, “नो वर्क, नो पे“ सिद्धांत के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। आदेश में कहा गया है कि यदि कर्मचारी तुरंत कार्यभार ग्रहण नहीं करते हैं तो उनकी सेवाएं समाप्त मानी जाएंगी। संविदाकर्मियों के समर्थन में मुख्यमंत्री कार्यालय से पत्र दिनांक 11.07.2025 को जारी किया गया है, जिसमें उनकी नियुक्ति और वेतन आदेशों पर यथोचित कार्यवाही के लिए उच्च शिक्षा विभाग से तथ्यात्मक टिप्पणी मांगी गई है।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.